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पूर्व डीजीपी की पुत्र बधू जांच में नहीं कर रही सहयोग, HC ने दी ये हिदायत

कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन कर पाया  कि जांच एजेंसी की ओर पूछे गए सवालों पर दिए जबाव से लगता है कि  आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रही है. कोर्ट ने प्रार्थी को एक और मौका देते हुए कहा कि वह जांच को पूरा करने में अपना सहयोग नहीं करेगी तो उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जा सकती है.

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Published : Oct 17, 2019, 8:59 AM IST

हिमाचल के पूर्व डीजीपी डीएस मन्हास की पुत्रवधू हरप्रिया मन्हास की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 31 अक्तूबर के लिए टल गई है. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने धोखाधड़ी की आरोपी हरप्रिया मन्हास को हिदायत दी कि वह जांच में पूरा सहयोग करे. सहयोग न करने पर उन्हें मिली अग्रिम जमानत रद्द की जा सकती है.

हरप्रिया मन्हास पर राज्य सतर्कता व भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो थाना ऊना में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 ,465 , 467 , 471 और 34 व इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी अधिनियम की धारा 61 के तहत 5 सितम्बर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हरप्रिया मन्हास को हाईकोर्ट से अंतरिम अग्रिम जमानत मिली हुई है. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि आरोपी जांच में शामिल हो गयी है, लेकिन सहयोग नहीं कर रही है. इस कारण मामले की जांच मुश्किल हो रही है.

कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन कर पाया कि जांच एजेंसी की ओर पूछे गए सवालों पर दिए जबाव से लगता है कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रही है. कोर्ट ने प्रार्थी को एक और मौका देते हुए कहा कि वह जांच को पूरा करने में अपना सहयोग नहीं करेगी तो उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जा सकती है.

बता दें कि ऑडिट के दौरान पाया गया था कि शराब की फर्मों के लाइसेंस धारक रोहित कुमार के जमा किये गए ई-चालान का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. सत्यापन के लिए सौंपे गए ई-चालान फर्जी भी पाए गए हैं. जांच में यह भी पाया गया है कि प्रार्थी के पति अमिल मन्हास का दिया गया चेक बाउंस हो गया.

ये भी बता दें कि ऊना में एक्साइज विभाग के साथ शराब की 2 फर्मों की ओर से करीब 2 करोड़ 63 लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इस मामले में एक्साइज विभाग ने विजिलेंस में मामला दर्ज करवाया है. मामले का खुलासा होने के बाद एक्साइज विभाग ने दोनों फर्मों को बकाया राशि जमा करवाने के लिए नोटिस भी जारी किए थे. जब एक्साइज विभाग ने अपने पास जमा एफडीआर चैक करवाई तो वो भी फर्जी पाई गई.

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