शिमला: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में खतरनाक स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) का कहर बढ़ता ही जा रहा है. सूबे के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में रोजाना स्क्रब टाइफस(Scrub Typhus) के मामले आ रहे हैं. इस बार अभी तक प्रदेश में 305 मामले सामने आ चुके हैं. अभी तक आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस से 5 संक्रमितों की मौत हो चुकी है.
स्क्रब टाइफस ने स्वास्थ्य विभाग(Health Department) के साथ-साथ लोगों की भी चिताएं बढ़ा दी हैं. डॉक्टरों का मानना है कि स्क्रब टाइफस पिछले साल की अपेक्षा इस बार काफी तेजी से फैल रहा है. अगर लापरवाही बरती तो स्क्रब टाइफस से काफी लोगों की जान जा सकती है. रोजाना आ रहे स्क्रब टाइफस के मामलों के चलते स्वास्थ्य विभाग ने सर्तकता बरतने के निर्देश दिए हैं.
आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज(IGMC MS Dr. Janak Raj ) ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करें. स्क्रब टाइफस बैक्टीरियल इंफेक्शन है(Bacterial Infection) जोकि जानलेवा है. इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं, लेकिन यह घास में रहने वाले कीड़ों में पलने वाले पिस्सू से फैलता है. इसलिए स्क्रब टाइफस के मामले गांवों में ज्यादा आते हैं.
ऐसे फैलता है स्क्रब टाइफस:स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है. इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है. यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है. लोगों को जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
स्क्रब टाइफस के लक्षण:स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार की शिकायत होती है. 104 से 105 तक बुखार संभव है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू, कमर के नीचे गिल्टी/गांठ होना आदि इसके लक्षण है.
स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय:सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर और आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर और आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.
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