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Himachal elections 2022: प्रचार वार में BJP आगे, मोदी की 5 यात्राएं, कांग्रेस ने किया प्रियंका गांधी से श्रीगणेश

हिमाचल में चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. 12 नवंबर को मतदान (Himachal election date) होंगे और 8 दिसंबर को मतगणना होगी. वहीं, बात करें चुनावी प्रचार की तो चुनाव की तारीख का ऐलान होने से (Himachal assembly elections ) पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिलासपुर, कुल्लू, ऊना व चंबा में एक पखवाड़े के भीतर आ चुके हैं. मंडी में युवा संकल्प रैली को पीएम मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया. वहीं, कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रियंका की परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली से पार्टी का प्रचार अभियान शुरू किया. ऐसे में प्रचार वार में इस तरह भाजपा आगे कही जा सकती है.

Himachal assembly elections
हिमाचल विधानसभा चुनाव

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Published : Oct 14, 2022, 4:05 PM IST

शिमला:हिमाचल प्रदेश में चुनावी रण सज (Himachal assembly elections) गया है. चुनाव की तारीख का ऐलान होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिलासपुर, कुल्लू, ऊना व चंबा में एक पखवाड़े के भीतर आ चुके हैं. मंडी में युवा संकल्प रैली को पीएम मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया. प्रचार वार में इस तरह भाजपा आगे कही जा सकती है. कांग्रेस ने शुक्रवार को प्रियंका की परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली से पार्टी का (Priyanka Gandhi rally in Solan) प्रचार अभियान शुरू किया. भाजपा की तरफ से शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह आएंगे. कांग्रेस की योजना राहुल गांधी की अधिक से अधिक रैलियों में बुलाने की है.

भाजपा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी स्टार प्रचारक के तौर पर चाहती है. अभी तक की स्थितियों का आकलन करें तो प्रचार अभियान और संगठन की गतिविधियों के हिसाब से भाजपा फ्रंटफुट पर है. भाजपा ने बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को एक्टिव किया है और पंच परमेश्वर सम्मेलन के जरिए ग्राम स्तर तक पहुंच बनाई है. सरकार के स्तर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिला स्तर पर कर्मचारियों के साथ सम्मेलन किए हैं. कुल्लू, मंडी, थुनाग आदि में कर्मचारी सम्मेलन आयोजित किए गए. इसी तरह भाजपा की तरफ से स्वर्ण जयंती समारोहों की श्रेणी में सीएम व मंत्री हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे हैं. बाकी पार्टी के प्रचार अभियान को पीएम नरेंद्र मोदी ने गति दे दी है.

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चंबा की रैली में पीएम ने साफ कर दिया (PM Modi rally in Himachal) कि डबल इंजन की सरकार की क्यों जरूरत है. उन्होंने ऊना के साथ चंबा में ये कहा कि प्रदेश में ये रिवाज बदलना है कि यहां पांच साल बाद सत्ता में दूसरा दल आ जाता है. रिवाज बदल कर फिर से भाजपा को सत्ता में लाने का आग्रह उन्होंने किया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अकेले बल्क ड्रग पार्क से ही हिमाचल में भारी निवेश आएगा और प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से 20 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिलासपुर में एम्स का शुभारंभ किया. कुल्लू में दशहरा उत्सव में शामिल हुए. फिर पीएम मोदी ने ऊना आकर वंदे भारत ट्रेन शुरू की. बल्क ड्रग पार्क व ट्रिपल आईटी की नई ईमारत का लोकार्पण किया. फिर चंबा में हाईड्रो पावर सेक्टर की दो परियोजनाओं के साथ पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण का शुभारंभ किया.

चंबा की रैली में इतनी भीड़ उमड़ी कि नरेंद्र मोदी ने मंच से इसका जिक्र किया और कहा कि ऐसी भीड़ नहीं देखी. कांग्रेस वीरभद्र सिंह के बिना एक नए संकट से जूझ रही है. वीरभद्र सिंह एकमात्र ऐसे नेता थे, जो सभी को साथ लेकर चलने में सक्षम थे. वे न केवल टिकट आवंटन को प्रभावित करते थे, बल्कि अपने बूते चुनाव जिताने की भी कूवत रखते थे. वीरभद्र सिंह अपने निर्वाचन क्षेत्र में तो प्रचार के लिए जाते ही नहीं थे. ऐसे में इतने बड़े कद के नेता के न होने से स्टार प्रचारक की कमी है.

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कांग्रेस में चुनाव के समय कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक पवन काजल के साथ विधायक लखविंद्र सिंह राणा पहले पार्टी छोड़कर भाजपा में गए. उसके बाद हर्ष महाजन ने कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. हर्ष महाजन ने पार्टी पर टिकटों को बेचने का बड़ा आरोप लगाया है. इस तरह कांग्रेस में फूट से पार्टी को नुकसान झेलना पड़ा है. फिलहाल प्रियंका गांधी ने सोलन की रैली में पहली ही कैबिनेट में एक लाख रोजगार व ओपीएस को लागू करने का ऐलान किया. प्रियंका की रैली से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश का संचार होगा. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या कांग्रेस (Priyanka Gandhi rally in Solan) इस मोमेंटम को निरंतर जारी रख सकेगी.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी संजीव कुमार का कहना है कि हिमाचल में हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन होता आया है. इस बार भाजपा रिवाज बदलने की बात कह रही है और कांग्रेस कह रही है कि रिवाज जारी है, कांग्रेस आ रही है. दोनों दलों के लिए टिकट आवंटन पहली बाधा है. उसके बाद ही तस्वीर कुछ साफ होगी. भाजपा के खिलाफ महंगाई व कर्मचारियों के मुद्दे एंटी इन्कंबेंसी को प्रभावी बना रहे हैं. भाजपा के पास बेशक संगठन की मजबूती है, लेकिन उपचुनाव की हार से भाजपा अंदरखाते डरी हुई भी है. देखना है कि चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है.

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