शिमला:देश में बढ़ी महंगाई और बेरोजगारी को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय दुबे ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. शिमला में अयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ने के लिए कोरोना जिम्मेदार नहीं है. इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. महंगाई-बेरोजगारी भाजपा के दो भाई हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 8 साल पहले अच्छे दिन आने का वादा किया था लेकिन ये अच्छे दिन केवल चंद पूंजीपति मित्रों के आए हैं और आम जनता आज भी महंगाई व बेरोजगारी से जूझ रही है.
निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही सरकार:उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा (Abhay Dubey target bjp) कि कोरोना काल में पूंजीपति मित्रों के कर्जे माफ किए गए. अब प्रधानमंत्री रेवड़ी कल्चर की बात कह रहे हैं. इसके पीछे भी निजीकरण को बढ़ावा देने की मंशा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की बात कही है. केंद्र सरकार नया बिजली कानून लेकर आ रही है. यह इसलिए ताकि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा सके. इस कानून के लागू होने के बाद राज्य सरकारों के हाथ से कई चीजें छिन जाएंगी. सस्ती बिजली देने के लिए जो सब्सिडी का प्रावधान है वह भी नहीं रहेगा. यहां तक कि विद्युत नियामक आयोग में अध्यक्ष नियुक्त करने की शक्तियां भी राज्य सरकारों के पास नहीं रहेगी.
किसी के भी नहीं आए अच्छे दिन:उन्होंने सवाल किया कि क्या 75 करोड़ किसानों के अच्छे दिए आए? जिनकी एनएसएसओ की रिपोर्ट बताती है कि आमदनी 27 रुपए प्रति दिन रह गई. वहीं, क्या उन युवाओं के अच्छे दिन आए, जिसमें (Congress against inflation and unemployment) मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि 45 सालों में बेरोजगारी की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है. क्या देश की आम जनता के अच्छे दिन आए?, जिन्हें यूपीए सरकार में 400 रुपए में मिलने वाला एलपीजी सिलेंडर अब 1150 में मिल रहा है? 60 रुपए में मिलने वाला पेट्रोल अब 100 रुपए पार, 70 रुपए का खाद्य तेल अब 200 रुपए का मिल रहा है. उज्जवला योजना के नाम पर मोदी सरकार ने देश में झूठ परोसा है. 3.50 करोड़ परिवार इस योजना में मिले एलपीजी सिलेंडर को रीफिल ही नहीं करवा पाए हैं. अजय दुबे ने कहा कि मोदी सरकार ऐसे वक्त में दालों का आयात करती है, जब देश में किसानों की फसलें तैयार होती है. इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता. इसके पीछे की मंशा पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने की है.