शिमला: हिमाचल में हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली पवन हंस लिमिटेड को करोड़ों का अनुचित लाभ पहुंचाया गया. कैग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट में यह पता चला है कि राज्य सरकार ने पवन हंस कंपनी को कई तरह के अनुचित लाभ दिए. 18.39 करोड़ खर्च ऐसा हुआ, जिसे बचाया जा सकता था. यही नहीं अनुबंध की अवधि खत्म करने के बजाय सालाना आधार पर फ्लाइंग अवर्ज का समायोजन करने से 6.97 करोड़ रुपए फिजूल खर्च किए गए. सरकार चाहती तो 25 करोड़ से अधिक की रकम बचा सकती थी.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पवन हंस कंपनी का सुरक्षा संबंधी रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद सरकार ने उस पर कई मेहरबानियां की. उदाहरण के तौर पर पवन हंस कंपनी को अनुचित सेवा विस्तार दिया. साथ ही मनमाने तरीके से 10 प्रतिशत सालाना किराए में वृद्धि की गई. इस तरह 18.39 करोड़ का फिजुल खर्च हुआ. जिसे बचाया सकता था. यही नहीं अन्य बोली दाताओं को दौड़ से बाहर करने के लिए कुछ ऐसी शर्तें शामिल की गई, जिससे पवन हंस कंपनी को लाभ हुआ.
कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिक्षा विभाग में छात्रों को प्रदान करने के मामले में भी प्रक्रियाओं को सरल करने के बजाए जटिल किया गया. विद्यार्थियों को दी जाने वाली वर्दी के कपड़े के परीक्षण पर ही फिजूल में ही 1.62 करोड़ रुपये खर्च किये गए. किस तरह परीक्षण करने वाले प्रयोगशाला को करोड़ों का अनुचित लाभ दिया गया. इस प्रक्रिया में वित्तीय नियमों का भी उल्लंघन किया गया.