हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / city

Natural Farming in Sirmaur: जिले में 10324 लोगों ने अपनाई प्राकृतिक खेती, किसान-बागवानों की बदल रही तकदीर

सिरमौर जिले में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. विभाग द्वारा गत तीन वर्षाे में 411 प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया, जिसके अंर्तगत 16133 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया और 10324 किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती को अपनाया गया है.

Natural Farming in Sirmaur
प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए ग्रामीणों को विभाग द्वारा दिया जा रहा प्रशिक्षण

By

Published : Jun 11, 2022, 8:02 PM IST

नाहन:हिमाचल सरकार की महत्वाकांक्षी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंर्तगत जिला सिरमौर के किसान प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर खुशहाली के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं. आज प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान-बागवान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. दरअसल जिले में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. विभाग द्वारा गत तीन वर्षाे में 411 प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया, जिसके अंर्तगत 16133 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया और 10324 किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती को अपनाया गया है. जिले में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 1029 हेक्टेयर भूमि पर रसायन मुक्त प्राकृतिक तरीके से कृषि की जा रही है.

दूसरी तरफ प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के लाभार्थी विशाल का कहना है कि कृषि विभाग द्वारा उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसमें उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत व प्राकृतिक कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों का समय भी बचता है और उनकी जमीन बंजर होने से भी बचती है.

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना

वहीं, ग्राम पंचायत कमलाहड के गांव काटाफलाह के एक अन्य लाभार्थी चमन पुंडीर ने बताया कि वह पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और मुख्य फसल के साथ सह फसल भी उगाते हैं, जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्रदान करने व प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार भी व्यक्त किया है.

प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए ग्रामीणों को विभाग द्वारा दिया जा रहा प्रशिक्षण

उधर पूछे जाने पर परियोजना निदेशक आत्मा डॉ. साहिब सिंह ने बताया कि इस योजना के अंर्तगत ग्राम पंचायत, जिला एवं राज्य स्तर पर 2 से 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है. इस प्रशिक्षण के दौरान किसानों के लिए कृषक भ्रमण कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है, ताकि किसान विभिन्न क्षेत्रों में जाकर प्राकृतिक खेती के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें.

परियोजना निदेशक ने बताया कि प्राकृतिक खेती द्रव्य उत्पादन हेतु प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत या अधिकतम 750 रूपये प्रति ड्रम के हिसाब से 3 ड्रम खरीदने पर अनुदान दिया जाता है. इसी तरह गौशाला फर्श निर्माण पर 80 प्रतिशत या अधिकतम 8000 रुपये का अनुदान दिया जाता है. उन्होंने बताया कि देसी गाय की खरीद पर सरकार द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत या अधिकतम 25000 रुपये अनुदान दिया जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details