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Adi Badri Dam Himachal Pradesh: हरियाणा-हिमाचल के बीच आदिबद्री बांध को लेकर होगा एमओयू

21 जनवरी को पंचकूला में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा और हिमाचल सरकार के बीच प्रस्तावित आदिबद्री बांध को लेकर एमओयू साइन (Adi Badri Dam MoU) करेंगे. बता दें इस बांध के बनने से जल संरक्षण, सिंचाई, पेयजल के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा. यह बात नाहन में मीडिया से रूबरू ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने (Sukhram Choudhary on AdiBadri Dam) कही.

Haryana Himachal government sign MoU
आदिबद्री बांध एमओयू

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Published : Jan 20, 2022, 1:47 PM IST

नाहन:हरियाणा और हिमाचल सरकार के बीच प्रस्तावित आदिबद्री बांध को लेकर 21 जनवरी को एमओयू साइन (Adi Badri Dam Himachal Pradesh) होगा. ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने नाहन में वीरवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि शुक्रवार को पंचकूला में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस एमओयू को साइन करेंगे.

ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी (sukhram choudhary on adibadri dam) ने कहा कि शास्त्रों के मुताबिक सरस्वती नदी का उदगम जिला सिरमौर की मातर पंचायत के साथ आदि बद्री क्षेत्र से ही हुआ है, लेकिन आज यह नदी लुप्त होने के कगार पर है. ऐसे में नाहन विधानसभा क्षेत्र की मातर पंचायत में आदि बद्री में 35 से 40 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण करवाया जा रहा (Haryana Himachal government sign MoU) है. उन्होंने कहा कि इस बांध के निर्माण से जहां सरस्वती नदी पुनः जीवित होगी, तो वहीं जिला सिरमौर को भी इसका बड़ा लाभ मिलेगा.

आदिबद्री बांध पर सुखराम चौधरी

बता दें कि हरियाण व हिमाचल सरकार जिला सिरमौर की सरस्वती नदी पर आदी बद्री क्षेत्र में बांध का निर्माण करने जा रही है. करीब 100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बांध के निर्माण से हिमाचल व हरियाणा के किसानों को सिंचाई व पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा. इसके साथ ही बरसात के दिनों में आदि बद्री व हरियाणा के यमुनानगर जिला के विभिन्न क्षेत्रों में बारिश के पानी से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने से भी निजात मिलेगी.

आदि बद्री में 88 हेक्टेयर भूमि बांध में डूब जाएगी, जिसमें हिमाचल की भूमि 77 हेक्टेयर व हरियाणा की भूमि 11 हेक्टेयर जलमग्न होगी. बांध का निर्माण कार्य होने से 3 किलोमीटर की झील बनेगी. लिहाजा यह परियोजना जल संरक्षण, सिंचाई, पेयजल के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी.

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