मंडीःकरसोग में महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर सफलता की नई कहानी लिख रही हैं. कोरोना काल में लोगों के सामने नौकरी और कारोबार को बचाने की चुनौती है. वहीं, करसोग में ग्रामीण क्षेत्रों की बहुत सी महिलाएं रोजगार छीनने की चिंता से दूर दूध बेचकर हर महीने हजारों रुपये कमाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं.
लगातार हो रहे शहर के विस्तार से अब दूध की मांग हर समय बढ़ रही है, यही वजह है कि दूध के कारोबार पर कोरोना की काली छाया नहीं पड़ी है. ऐसे में ग्रामीण महिलाएं अन्य काम निपटाने के साथ दूध बेचकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर का खर्च चलाने में भी हाथ बंटा रही हैं.
दूध कारोबार से महिलाएं बनी आत्मनिर्भर
उपमंडल में सड़कों का जाल बिछने से मिल्क फेडरेशन घरद्वार पर पहुंचकर पशुपालकों से दूध खरीद रहा है. ऐसे में घर की जरूरत पूरी होने के बाद महिलाएं बाकी बचे दूध को आसानी से घरद्वार पर बेचकर अच्छी खासी कमाई कर रही है. दूध कारोबार से जुड़ने से महिलाओं के खाते हर महीने हजारों रुपये जमा हो रहे हैं.
1700 परिवार दूध कारोबार से जुड़े
गांव में आई आर्थिक समृद्धि से दूध कारोबार से जुड़ी ये महिलाएं अब दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रही है. ऐसे में पहले कुछ परिवार के जुड़ने से शुरू हुआ. दूध कारोबार का सफर हजारों में पहुंच गया है. आज अकेले करसोग उपमंडल में 28 मिल्क कोऑपरेटिव सोसाइटियां कार्य कर रही हैं, जिसमें क्षेत्र के 1700 परिवार दूध कारोबार से जुड़े हैं.
मिल्क फेडरेशन किसानों रोजाना खरीद रहा 5 हजार लीटर दूध
बता दें कि अकेले मिल्क फेडरेशन किसानों से रोजाना 5 हजार लीटर दूध खरीद रही है. जो अब आने वाले दिनों में 8 हजार लीटर तक पहुंच जाएगा. कांडी सपनोट की प्रीति शर्मा का कहना है कि घरद्वार पर दूध बिकने से हर महीने बैंक खाते में पैसे आ रहे हैं.
दूध कारोबार महिलाओं के घरद्वार पर आजीविका का साधन
इसके अलावा करसोग मिल्क चिलिंग सेंटर के इंचार्ज लाल सिंह का कहना है कि दूध कारोबार महिलाओं के घरद्वार पर आजीविका का साधन बन गया है. गांव-गांव में मिल्क फेडरेशन की सोसाइटियां खुलने से महिलाएं आसानी से घर की जरुरत पूरा कर सकती हैं.
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