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बसंत पंचमी: 'राम-भरत मिलन' का गवाह बना ढालपुर मैदान, गुलाल उड़ाकर कुल्लू घाटी में होली का आगाज

हिमाचल प्रदेश में बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया. बसंत पंचमी को मनाने के पीछे हर जगह की अलग अलग मान्यताएं हैं और यह त्योहार विभिन्न जगहों पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. बात करें कुल्लू जिले की तो यहां बसंत पंचमी के अवसर पर भगवान श्री राम और भरत का महामिलन (Ram Bharat milan at Dhalpur) होता है. यहां भगवान रघुनाथ अपने देवालय से रथ मैदान की ओर रवाना होते हैं. यही नहीं, कुल्लू घाटी में 40 दिन पहले ही होली का आगाज भी हो गया है. ऐसा क्यों हुआ और क्या है इसके पीछे की मान्यता जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

Ram Bharat milan at Dhalpur
ढालपुर मैदान में बसंत पंचमी

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Published : Feb 5, 2022, 6:48 PM IST

Updated : Feb 5, 2022, 7:12 PM IST

कुल्लू:जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में बसंत पंचमी के अवसर पर दो भाईयों राम और भरत का एक बार फिर महामिलन हुआ, जिसके सैकड़ों लोग गवाह बने. शनिवार सुबह से ही रथ मैदान व ढालपुर मैदान में (Ram Bharat milan at Dhalpur) रथयात्रा की तैयारियों को लेकर पुलिस जवान व नगर कर्मचारी डटे रहे. रथ मैदान में भगवान रघुनाथ जी के रथ को बाहर निकालकर उसे सजाया गया. जबकि रघुनाथपुर व ढालपुर स्थित अस्थायी शिविर में सुबह से लेकर शाम तक भजन कीर्तन का दौर जारी रहा.

शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे भगवान रघुनाथ जी ढोल-नगाड़ों की थाप पर लाव लश्कर के साथ अपने देवालय से रथ मैदान को रवाना हुए, जहां से रथयात्रा निकली. सैकड़ों लोगों ने रथ को खींचते हुए (Rath Yatra in Kullu on Basant Panchami) ढालपुर मैदान पहुंचाया, जहां पर विशेष पूजा-अर्चना हुई. साथ ही इस दौरान राम व भरत के मिलन की रस्म भी अदा की गई. प्रशासन द्वारा इस बार कोविड एसओपी का पालन करते हुए पहले की भांति उत्सव मनाने की अनुमति दी गई है.

गौर रहे कि कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के बाद साल का यह पहला उत्सव होता है, जहां भगवान राम व भरत के मिलन के हजारों लोग गवाह बनते हैं वहीं, भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा दशहरा उत्सव के बाद यहां केवल बसंत पंचमी के दिन ही निकलती है. दशहरा उत्सव की ही तरह इस उत्सव के दौरान भी लोगों में भगवान रघुनाथ जी के रथ तक पहुंचने और रस्सी को खींचने की खूब होड़ लगी रहती है. हर कोई भगवान के रथ को खींचने में अपना योगदान देकर पुण्य कमाता है.

ढालपुर मैदान में बसंत पंचमी

भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए बसंत पंचमी के दिन अधिकतर लोग पीले वस्त्र में ही नजर आए और भगवान रघुनाथ जी को भी पीले ही वस्त्र पहनाए गए. ढालपुर मैदान में हर कोई उत्साह के रंग में नजर आया और राम-भरत के मिलन के बाद भगवन हनुमान की अठखेलियां भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही. केसरी रंग में पूरी तरह रंगा हुआ शख्स जिसे मान्यतानुसार यात्रा के दौरान भगवान हनुमान ही माना जाता है जिस भी श्रद्धालु को रंग लगाएगा उसे सौभाग्यशाली माना जाता है.

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुल्लू घाटी में 40 दिन पहले ही होली का आगाज (Holi starts in Kullu valley) भी हो गया है. रथयात्रा के दौरान जहां रघुनाथपुर से लेकर ढालपुर मैदान तक खूब गुलाल उड़ा वहीं, आज से अब भगवान रघुनाथ जी के दरबार में होली उत्सव तक गुलाल का दौर जारी रहेगा. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि जब भगवान श्रीराम वनवास पूरा कर वापस अयोध्या लौट रहे थे तो उन्होंने हनुमान जी को भरत के मन की स्थिति का पता लगाने के लिए अयोध्या भेजा था. जब हनुमान जी अयोध्या पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भरत श्री राम के खड़ाऊं की पूजा कर रहे थे. उसके बाद ही राम भगवान अयोध्या वापस गए और भरत से मिले.

उन्होंने कहा कि पूरे देश में होली उत्सव मार्च माह में मनाया जाएगा लेकिन कुल्लू जिले में 40 दिन रघुनाथ जी के चरणों (Holi starts in Kullu valley) में गुलाल चढ़ेगा. 40 दिन तक प्रतिदिन रघुनाथपुर में होली के गीत गाए जाएंगे और भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ाया जाएगा, क्योंकि महंत राजा के गुरु थे. इसलिए पूरे आयोजन में आज तक महंत समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.

बिलासपुर में बसंत पंचमी मेले का समापन- बिलासपुर के गुरु का लाहौर बस्सी में दो दिवसीय गुरु गोबिंद सिंह जी के विवाह उत्सव के उपलक्ष्य पर आयोजित बसंत पंचमी मेले का समापन हो गया. मेले के दौरान (Basant Panchami fair in bilaspur) लगभग 50,000 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा गुरु का लाहौर और गुरुद्वारा सेहरा साहिब में दर्शन किए और अपने घर परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना. इस मौके पर समाजसेवी संस्थाओं के द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह लंगर का आयोजन किया गया था और श्रद्धालुओं को स्वादिष्ट व्यंजन परोसे गए.

उल्लेखनीय है कि हर वर्ष यह मेला गुरु का लाहौर बस्सी क्षेत्र में गुरु महाराज के विवाह उत्सव के उपलक्ष्य पर 2 दिन तक मनाया जाता है. पंजाब, हिमाचल, हरियाणा से हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मेले में पहुंचकर अपनी हाजिरी लगाते हैं. हालांकि इस मेले के सफल आयोजन के लिए हिमाचल पुलिस के द्वारा पर्याप्त संख्या में पुलिस बल और होमगार्ड के जवान, महिला पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. कानून व्यवस्था पूरी तरह से सुचारू रही और किसी भी अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला.

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Last Updated : Feb 5, 2022, 7:12 PM IST

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