धर्मशाला/शाहपुर:पहाड़ों जैसे सदमे झेलती है मां, लेकिन औलाद की तकलीफ से मां टूट जाती है. कुछ ऐसा ही मामला सामना आया शाहपुर के रेहलू में जहां 32 साल के बेटे की दोनों किडनियां खराब होने के कारण मां सबिता पूरी तरह टूट चकी है. मां चंडीगढ़ में निजी अस्पताल में किडनियां देकर बेटे की जान बचाने की कोशिश कर रही (son treatment in Shahpur)है,लेकिन 10 लाख रुपए की आवश्यकता (mother needs ten lakhs for son treatment in shahpur)है. ऐसे में उसकी उम्मीद उन नेताओं,और समाजवादियों पर आकर ठहर गई है,जो चुनावी और सार्वजनिक मंचों पर तो स्वास्थ्य योजनाओं की मुनादी करके वाहवाही लूटते हैं,लेकिन जमीनी हकीकत में उनका किरदार बिल्कुल अलग दिखाई देता है.
नहीं सुन रहा कोई फरियाद:सबिता ने बताया मदद के नाम पर रिश्तेदारों और कुछ लोगों ने सहयोग किया,लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर अन्य नेताओं ने अभी तक कुछ मदद नहीं की. बेटे के साथ हमेशा रहना पड़ता है. इसलिए किसी से मदद की गुहार लगाने का भी समय नहीं मिल पाता,लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ लोगों को पता चला उन्होंने हमारी मदद की मैं उनकी शुक्रगुजार हमेशा रहूंगी.
पिता की हो चुकी है मौत:किडनी की बीमारी से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे सन्नी के पिता का देहांत हो चुका है. केवल वो ही मां का आसरा है,लेकिन वह भी अब जनवरी से बिस्तर पर है. इस कारण परिवार को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बीमारी में सन्नी के कुछ दोस्तों ने अभी तक जितना फर्ज निभा सकते थे वह निभाया. परिवारिक सदस्यों की मानें तो पीजीआई में अगर किडनी के बिना इलाज के लिए जाएंगे तो लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.
परिवार में थी खुशहाली:सन्नी के पड़ोसी बलवीर और जसवीर गुप्ता ने बताया कुछ सालों पहले परिवार में खुशियां ही खुशियां थी,लेकिन करीब 4 साल पहले पिता की हादसे में मौत हो गई. परिवार संभला ही था कि अब बेटा सन्नी किडनियां खराब होने के कारण बीमारी से जंग लड़ रहा है. इस समय परिवार की सभी को आगे आकर सहायता करना चाहिए,जिससे सन्नी का जीवन समय रहते बचाया जा सके.
हिमकेयर कार्ड जहां ,चलता वहां डॉक्टर नहीं: प्रदेश में सरकार की ओर से हिमकेयर कार्ड योजना के तहत परिवार को 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा देने की योजना चला रखी है, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के अंतर्गत अब तक 15,1157 नागरिकों को कैशलेस ट्रीटमेंट प्रदान किया जा चुका. इसके लिए सरकार द्वारा 144 करोड रुपए की राशि भी खर्च की गई.इसी कार्ड के तहत ये पीड़ित परिवार भी आता ,लेकिन जहां ये कार्ड चलता है वहां इस बीमारी से संबंधित डॉक्टर ही नहीं मिलते और जहां डॉक्टर मिलते हैं और कार्ड भी चलता .वहां इलाज की समय अवधि इतनी बता दी जा चुकी कि तब तक मरीज को राम भरोसे ही रहना होगा. परिवार ने पंचायत से लेकर विधायक से मदद की गुहार लगाई ,ताकि सन्नी का इलाज समय पर हो सके.
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