बिलासपुरः हिमाचल के जलाश्यों और सामान्य नदी व सहायक नदियों-नालों में 12 हजार से अधिक मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं. वर्तमान में प्रदेश के पांच जलाश्य गोबिंदसागर, पौंग, चमेरा, कोलडैम और रणजीत सागर में 5 हजार 300 से अधिक मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं.
हिमाचल के सामान्य जलों, ट्राऊट जलों में 6 हजार से अधिक मछुआरे फैंकवां जाल के साथ मछली पकड़ने के कार्य करते हैं. इन सभी मछुआरा परिवारों को निरंतर मछली मिलती रहे और लोगों को प्रोटीनयुक्त प्राणी आहार मछली के रूप में मिलता रहे. इसके लिए हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन विभाग कार्यरत है. यह कहना है मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता का.
मत्स्य विभाग के निदेशक एवं प्रारक्षी सतपाल मेहता ने बताया कि इतने विशाल मानव निर्मित जलाश्यों की सघन निगरानी करना विभाग के लिए चुनौती से कम नहीं है, लेकिन मत्स्य विभाग इस चुनौती के समाधान के लिए प्रतिवर्ष सामान्य जलों में दो महीने के लिए मछली पकड़ने पर पूरी तरह से रोक लगाता है.
इस समय के दौरान अधिकतर महत्वपूर्ण प्रजातियों की मछलियां प्राकृतिक प्रजनन करती हैं. जिससे इन जलों में स्वतः मछली बीज संग्रहण हो जाता है. उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग को मत्स्य धन संरक्षण का कार्य बड़ी तत्परता से करना पड़ता है.