चंडीगढ़: हरियाणा सरकार यमुनानगर में 800 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने की तैयारी में थी लेकिन अब इस पावर प्लांट पर काले बादल मंडरा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को झारखंड ले जाने की तैयारी में है. हालांकि प्रदेश सरकार ने अपनी तरफ से प्रपोजल रिपोर्ट तैयार करके केंद्र सरकार से बात करने का फैसला किया है. राज्य सरकार केंद्र के सामने अपनी डिटेल रिपोर्ट रखेगी.
हरियाणा सरकार 800 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट यमुनानगर में लगाने की बात कर चुकी है. लेकिन बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार अब इस प्रोजेक्ट को झारखंड में लगाना चाह रही है. इस सबके बीच हरियाणा सरकार ने केंद्र के सामने प्रदेश को इस प्रोजेक्ट की जरूरत के बारे में अपनी डिटेल रिपोर्ट रख दी है. जानकारी के मुताबिक हरियाणा सरकार पीएम मोदी के सामने भी अपना पक्ष रखेगी. इस पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री ही करेंगे.
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दीपेंद्र हुड्डा का हमला- इस मामले में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट करके हरियाणा सरकार पर निशाना साधा है. दीपेंद्र हुड्डा ने लिखा है कि '4D सरकार' की एक और बड़े प्रोजेक्ट को हरियाणा से छीनने की साजिश! यमुनानगर के 800MW पावर प्लांट को झारखंड लेकर जाने की तैयारी. एक के बाद एक एयरपोर्ट, विश्वविद्यालय, पावर प्रोजेक्ट और फैक्ट्रियां हरियाणा से छीनी जा रही हैं. सरकार के सौतेले व्यवहार के कारण कल का नंबर 1 हरियाणा अब हर क्षेत्र में पिछड़ेपन से ग्रस्त है.
कुछ समय पहले प्रधानमंत्री ने बिजली के मामले को लेकर एक बैठक की थी. जिसमें सभी प्रदेशों के बिजली मंत्री शामिल हुए थे. उसमें चर्चा के दौरान सभी प्रोजेक्ट को लेकर प्रधानमंत्री अपने सुझाव दे रहे थे. उन्होंने कहा था कि कोयला झारखंड से लाया जाता है तो क्यों न प्लांट को झारखंड में लगाया जाए. उनका मानना था कि कोयला हरियाणा तक लाने में काफी खर्च वहन करना पड़ेगा. रणजीत चौटाला, बिजली मंत्री, हरियाणा
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बिजली मंत्री ने कहा हमने इस बारे में सभी जरूरी जानकारी हरियाणा की तरफ से केंद्र के सामने रख दी है. हरियाणा सरकार ने बताया है कि पावर सेक्टर में हमारा परफॉर्मेंस कैसा है और इसकी जरूरत हरियाणा को क्यों है. यह सब जानकारी केंद्र को उपलब्ध करवा दी गई. इसलिए यमुनानगर में प्लांट नहीं लगने की खबर अभी गलत है. बिजली मंत्री ने कहा कि केन्द्र किसी योजना को स्थापित करने से पहले उसको लेकर विस्तार से करता है. वैसी ही चर्चा पीएम के साथ बैठक में इस प्रोजेक्ट को लेकर हुई थी. अभी इस पर अंतिम फैसला पीएम को लेना है.
जानकारी के मुताबिक अगर यह प्लांट यमुनानगर में स्थापित होता है तो प्रदेश सरकार को सालाना 180 करोड़ से अधिक की बचत होगी. प्लांट की पूरी उम्र में करीब 45 सौ करोड़ की बचत होने का अनुमान है. इसी साल इस प्रोजेक्ट को लेकर बात शुरू हुई थी और दिसंबर तक इस पर आगे का काम होने की संभावना है.
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