यमुनानगर: 'शहीदों की याद में हर बरस लगेंगे मेले, वतन पर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा'. इन पंक्तियों को भी बदलता है यमुनानगर के गुमथला राव गांव में बना इंकलाब मंदिर. यहां साल में एक बार नहीं बल्कि हर रोज शहीदों की याद में मेले जैसा माहौल होता है. यह मंदिर करनाल-यमुनानगर रोड पर स्थित है. गुमथला राव गांव के एडवोकेट वरयाम सिंह इसके संस्थापक हैं.
हिंदुस्तान में अपने भगवान के प्रसिद्ध से प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए होंगे, लेकिन अपने आप में अनोखा एक मंदिर यमुनानगर के गुमथला राव गांव में स्थित है. अनोखा इसलिए क्योंकि इस मंदिर में किसी भगवान की नहीं बल्कि देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों और शहीदों की पूजा की जाती है. इस मंदिर का नाम है इंकलाब मंदिर. शायद ही आपने इस तरह के मंदिर के बारे में कभी सुना हो. क्योंकि मंदिर का नाम सामने आते ही हमेशा भगवान को याद किया जाता है. लेकिन गुमथला राव के रहने वाले एडवोकेट विराम सिंह ने शहीदों की याद में साल 2000 में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित कर इस मंदिर की स्थापना की.
खास बात यह है कि उन्होंने साल 2014 तक बिना किसी अनुदान के यहां राजगुरु सुखदेव सुभाष चंद्र बोस जैसे अनेक क्रांतिकारियों की प्रतिमाएं स्थापित की और अब यहां करीब 150 क्रांतिकारियों की प्रतिमाएं लगी हुई हैं. वरयाम सिंह बताते हैं कि उन्हें विचार आया कि जिन क्रांतिकारी शहीदों ने अपने खून से इस देश की धरती को सींचा उनकी याद में एक मंदिर का निर्माण किया जाए. इसी विचारधारा को लेकर वह आगे बढ़े और इंकलाब मंदिर में भी भगवान के मंदिरों की तरह रोजाना मेला जैसा लगता है.