पानीपत: आजादी के लिए देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अनेकों शहीदों को हम याद करते हैं. अनेकों शहीदों के नाम तो हमें इस कदर याद हैं कि शहीद पूछने पर तुरंत उनका नाम जुबान पर आ जाता है लेकिन कुछ ऐसे शहीद भी हैं, जिन्हें सरकारी तंत्र हो या आम लोग सभी ने भुला दिया है. आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले यह शहीद अब गुमनामी के अंधेरे में हैं.
भगत सिंह के दोस्त थे क्रांति कुमार: शहीद दिवस पर हम आज पानीपत के ऐसे ही एक शहीद के बारे में बता रहे हैं, जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. क्रांति कुमार का नाम पहले हंसराज हुआ करता था. इसी नाम का ही एक अंग्रेजों का मुखबिर था तो भगत सिंह ने हंसराज का नाम बदलकर क्रांति कुमार रखा था. लेकिन अब उन्हें और उनके परिवार को कोई नहीं जानता.
महात्मा गांधी के कहने पर कांग्रेस में हुए थे शामिल: पानीपत के रहने वाले हंसराज उर्फ क्रांति कुमार को 15 मार्च 1966 में पानीपत के रामलाल चौक पर एक दुकान में जिंदा जला दिया था. वे अंग्रेजी शासन काल में महात्मा गांधी के कहने पर वर्ष 1920 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. 1922 में वह पहली बार धारा 124 के तहत जेल गए. 1926 में क्रांति कुमार भगत सिंह के संपर्क में आए और आजादी के लिए अपनी आवाज उठाने लगे. क्रांति कुमार ने अपने जीवन के लगभग साढ़े 13 साल अंग्रेजी शासनकाल में जेल के अंदर बिताए.