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बदलते वक्त के साथ कुम्हारों ने बदला काम करने का तरीका, मार्केट में बढ़ रही मिट्टी से बनी चीजों की डिमांड

दिवाली का त्योहार करीब है. इन दिनों मार्केट में चाइनीज झालर, चाइनीज दीयों की भरमार होती थी, लेकिन अब भारत ने चीन के सामान पर प्रतिबंध लगा दिया. जिसके बाद मिट्टी के दीयों की मांग बाजार में तेजी से बढ़ रही है.

Increased Demand For Things Made Of Clay
Increased Demand For Things Made Of Clay

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Published : Oct 23, 2021, 2:21 PM IST

पानीपत: चाइनीज सामान पर प्रतिबंध के बाद इस बार की दिवाली कुम्हारों के लिए नई रोशनी लेकर आई है. लोगों का रुझान अब मिट्टी से बने दियों, घड़ों और गमलों की तरफ तरफ बढ़ रहा है. जिससे कुम्हारों की चाक की रफ्तार तेज हो गई है. कोरोना महामारी के बाद से कुम्हारी का काम लगभग बंद हो गया था, लेकिन इस बार बढ़ती दीयों की डिमांड (Earthen Lamps Demand Increased ) से फिर से कुम्हारों का रोजगार पटरी पर लौटने लगा है. इन कुम्हारों को उम्मीद है कि अब उनका पुश्तैनी कारोबार फिर से लौट आएगा.

पानीपत के गढ़ सरनाई गांव (Gadhsarnai village Panipat) में मिट्टी के कारीगर करमचंद ने बताया कि वो इस काम को छोड़ने का मन बना चुके थे, लेकिन उन्होंने अपने आप को एक और मौका दिया. अब उन्होंने आधुनिकता के साथ जुड़ते हुए नए साजो सामान को तैयार करना शुरू किया. जिसे लोग पसंद कर रहे हैं. हरियाणा सरकार कई बार करमचंद को सम्मानित भी कर चुकी है. उन्होंने बताया कि वो दिवाली के त्योहार में अभी तक 500000 मिट्टी के दीयों का ऑर्डर तैयार करके मार्केट में पहुंचा चुके हैं.

बदलते वक्त के साथ कुम्हारों ने बदला काम करने का तरीका

अभी भी काम लगातार जारी है. उन्होंने कहा कि पहले चीन से बनी हुई लाइट हिंदुओं के त्योहार की रोशनी कम कर रही थी. अब प्रतिबंध के बाद भी पिछले साल के मुकाबले इस बार उन्हें ज्यादा ऑर्डर मिले हैं. जिससे उनकी इनकम में 20% का इजाफा हुआ है. करमचंद बैठने के लिए मिट्टी से बने बेंच, मटके और बर्तन बनाकर बाजार में बेचते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने लगभग एक दर्जन महिलाओं को रोजगार भी दिया हुआ है. करमचंद का परिवार भी इस काम में उनका साथ देता है.

मार्केट में बढ़ रही मिट्टी से बनी चीजों की डिमांड

लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए अब दोबारा से उनकी ये कला जीवंत हो उठी है. करमचंद के परिवार के चार सदस्य भी इस काम को करते-करते सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं. करमचंद का कहना है कि उनका अब रफ्तार पकड़ चुका है. वो सरकार की गाइडलाइंस के साथ अपने काम को बढ़ा रहे हैं. पानीपत क्षेत्र एनसीआर में आता है और एनसीआर में बर्तन पकाने वाली भट्टी काफी धुआं फैलाती है. इसका समाधान भी अब करमचंद ने निकाल लिया है. करमचंद ने अब गैस से चलने वाली भट्टी को आने वाले समय के लिए तैयार कर लिया है.

महिला कारिगर मिट्टी से बना बेंच तैयार कर रही है

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कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान एक वक्त तो ऐसा आया था कि ये कारीगर इस पुश्तैनी व्यवसाय को छोड़कर कोई दूसरा काम करने का मन बना चुके थे, उम्मीद थी कि ये दिवाली उनके लिए रौनक लेकर आएगी और हुआ भी कुछ ऐसा ही. अब ये कारीगर एक से बढ़कर एक आकर्षक और अच्छी क्वालिटी का सामान बना रहे हैं. जिसकी मांग बाजारों में बढ़ने लगी है. कुम्हार के बनाए दीये की मांग भी बाजारों में काफी बढ़ गई है.

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