नूंहः प्रदेश का पिछड़ा जिला नूंह तेजी से मलेरिया मुक्त होने की तरफ बढ़ रहा है. तीन-चार साल पहले जिले में मलेरिया के सबसे ज्यादा केस पाए जाते थे, साथ ही मलेरिया से लोगों की जान भी चली जाती थी लेकिन अभी तक इस वर्ष एक भी केस सामने नहीं आया है. जिससे स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है. मलेरिया सीजन में सख्ती से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है.
साल दर साल कम हो रहे केस
उप सिविल सर्जन एवं जिला नोडल अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि पिछले चार-पांच सालों से मलेरिया के केसों में भारी गिरावट आ रही है. वर्ष 2018 में तकरीबन 2000 केस, वर्ष 2019 में तकरीबन एक हजार केस, वर्ष 2020 में 24 केस और वर्ष 2021 में मार्च तक एक भी के सामने नहीं आया है.
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उन्होंने बताया कि सरपंच, पार्षद को अपने इलाके में फॉगिंग करानी है तो वे स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा नगर पालिका क्षेत्र में भी फॉगिंग कराई जा सकती है. अगर कहीं जलभराव है तो उस पानी को खाली कराया जा सकता है. डॉ अरविंद कुमार ने आगे कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने पिछले तीन-चार सालों में कम से कम तीन चार लाख मच्छरदानी का वितरण मुफ्त में किया है. लिहाजा जिले के लोग ज्यादा से ज्यादा उन मछरदानी का इस्तेमाल करें ताकि मच्छर के डंक से बचा जा सके.
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उप सिविल सर्जन ने कहा कि 1 मई से 30 दिसंबर तक 2 चरणों में मलेरिया का अभियान चलाया जाएगा. इसके लिए 27 गैंग का अलग से चयन किया गया है. हर गैंग में एक सुपरवाइजर सहित छह लोग शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि डेल्टामैथिन की दवाई का स्प्रे कराया जाएगा. इसके अलावा ब्रांडिंग चेकर की नियुक्ति भी की जाएगी जो सार्वजनिक स्थानों, घरों, कार्यालयों इत्यादि में चेकिंग करने के बाद लारवा पाए जाने पर चालान वगैरह भी काट सकते हैं.