हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

आखिर नवरात्रि में क्यों किया जाता है कन्या पूजन, क्या है इसका महत्व, जानें

चैत्र नवरात्रि 2023 हो या फिर शारदीय नवरात्रि पर्व हों, सभी में कन्या पूजन का विधान है. नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है. पर क्या आप जानते हैं कि आखिर कन्या पूजन क्यों किया जाता है और इसका क्या महत्व होता है. तो चलिए आज इसे जानते हैं...

Kanya Pujan in Karnal
Kanya Pujan in Karnal

By

Published : Mar 27, 2023, 2:17 PM IST

कन्या पूजन क्यों किया जाता है?

करनाल:हिंदू धर्म के लोग नवरात्रि में काफी आस्था रखते हैं और ज्यादातर लोग नवरात्रि के दौरान माता रानी के व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन व्रत का समापन होता है. भारत के कुछ राज्यों में दुर्गा अष्टमी के दिन नवरात्रि पूरे होने के उपलक्ष में माता दुर्गा की कढ़ाई की जाती है, जिसमें हलवा पूरी बनाया जाता है और कन्याओं को भोजन कराया जाता है. वहीं कुछ राज्यों में नवमी के दिन भी नवरात्रि समापन होने पर माता रानी की कढ़ाई की जाती है. तो आइये जानते हैं कि नवरात्रि समापन पर कन्या पूजन क्यों करवाया जाता है.

कन्या पूजन क्यों किया जाता है: शास्त्रों में बताया गया है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्रदेव ने भगवान ब्रह्मा से माता भगवती को प्रसन्न करने के लिए कोई उपाय पूछा था. उस दौरान ब्रह्मा देव ने इंद्र को बताया था कि देवी को प्रसन्न करने के लिए कुमारी कन्याओं का पूजन करें और उनको भोजन कराये. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि नवरात्रि के दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन कराया जाता है और उनको भोजन कराया जाता है. जिसे माता रानी प्रसन्न होती है.

नवरात्रि में कन्या पूजन: हिंदू शास्त्रों के मुताबिक नवरात्रि में कन्या पूजन कराने से माता रानी की कृपा उनके भक्तों पर बनी रहती है. साथ ही कन्या पूजन का नवरात्रि में बहुत ज्यादा महत्व बताया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से ही मां की कृपा उसके भक्तों पर आती है और यह सबसे बड़ी धार्मिक मान्यता है. वैसे तो कुछ लोग नवरात्रि के दौरान हर दिन ही कन्या पूजन कराते हैं, लेकिन दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन इसका विशेष महत्व होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इन दोनों दिनों के दौरान कन्याओं को भोजन कराने से माता रानी प्रसन्न होती है और यह भोजन माता रानी तक ही पहुंचता है.

माता रानी की कृपा अपने भक्तों के परिवार पर बनी रहती है, जिसे उसके परिवार में सुख समृद्धि आती है. वहीं एक, पांच, सात या नौ कन्याओं को भोजन करवाने और पूजा करने के साथ एक छोटे लड़के को भी भोजन करवाना चाहिए. ऐसा करने से कन्या पूजन का और महत्व बढ़ जाता है और इससे लाभ और पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्रि के पर्व में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजा करने से माता के भक्तों का व्रत और पूजन पूरा होता है. उन्हें भोजन कराकर उनका पूजन करने से और दक्षिणा देने से ही मां दुर्गा अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाती है.

नवरात्रि में किस दिन करें कन्या पूजन:नवरात्रि के दौरान जो आठवां और नौवां नवरात्रि होता है, इन दोनों दिन कन्या पूजन किया जाता है जो भक्त 9 नवरात्रि रखते हैं, वह नौवें दिन या कुछ लोग 10वें दिन भी कन्या पूजन कराते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि कन्या पूजन के लिए दुर्गा अष्टमी का दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन कराने से सबसे ज्यादा महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि माता दुर्गा के ही 9 अवतार हैं.

यह भी पढ़ें-किस्सा हरियाणे का स्पेशल: आज भी परसोन मंदिर में होता है ऋषि पराशर की शक्तियों का अहसास

कन्या पूजन के दौरान रखें ध्यान:शास्त्रों में बताया गया है कि जिस दिन आप कन्या पूजन करा रहे हैं, जहां पर कन्याओं का बैठने का स्थान निर्धारित किया गया है वह साफ सुथरा होना चाहिए. क्योंकि माता रानी को सफाई बहुत ज्यादा अच्छी लगती है. इसके बाद यह ध्यान रखना चाहिए कि यह पूजन कराने से पहले हलवा पूरी का भोग माता रानी को लगाएं. कन्याओं को भोजन कराने के लिए हलवा पूरी और चने होने चाहिए.

9 वर्ष की आयु की कन्याओं को भोजन कराएं: पूजा के लिए 3 वर्ष से 9 वर्ष की आयु की कन्याओं को भोजन कराएं और साथ में एक छोटे लड़के को भी भोजन कराएं. कन्याओं की संख्या कम ज्यादा भी हो सकती है. 1,5,7,9 कन्याओं को भोजन करा सकते हैं. पुराणों में भी लिखा गया है कि कन्या पूजन के लिए तीन से नौ वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है. कन्या पूजन में नव वर्ष की आयु से ज्यादा उम्र की कन्याओं को भोजन कराने की इतनी मान्यता नहीं मानी जाती थी. 9 वर्ष से कम की आयु में भोजन कराने वाली कन्याओं की मान्यता होती है. कन्याओं को भोजन कराने के उपरांत उनको दक्षिणा देने का महत्व है. शास्त्रों में बताया गया है कि 3 साल की कन्या को भोजन कराने से श्रीदेवी माता सरस्वती माता काली और लक्ष्मी की पूजा के बराबर का फल मिलता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details