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दादा लखमी फिल्म हरियाणा में टैक्स फ्री, यशपाल शर्मा बोले- 6 साल की कड़ी मेहनत से हूं संतुष्ट

हरियाणवी लोक गायक दादा लख्मीचंद पर बनी फिल्म 'दादा लखमी' (dada lakmi movie) 8 नवंबर को रिलीज हो गई है. हरियाणा सरकार ने इस फिल्म को 6 महीने के लिए टैक्स फ्री कर दिया है.

dada lakmi movie tax free in haryana
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Published : Nov 8, 2022, 7:30 AM IST

हिसार: हरियाणवी लोक गायक दादा लख्मीचंद पर बनी फिल्म 'दादा लखमी' (dada lakmi movie) 8 नवंबर को रिलीज हो गई है. हरियाणा सरकार ने इस फिल्म को 6 महीने के लिए टैक्स फ्री कर दिया है. ये फिल्म हरियाणवी लोक कला व संस्कृति को अपने में समेटे हुए है. हरियाणा के सूर्यकवि पंडित लख्मीचंद के जीवन पर आधारित दादा लख्मी फिल्म बालीवुड अभिनेता यशपाल शर्मा ने यशविद्या फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बनाई है.

खास बात ये है कि इस फिल्म में अधिकतर एक्टर, लोक कलाकार, सिंगर और साजिंदे हरियाणा से ही हैं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी इस फिल्म को सराहा था और सरकार ने 6 महीने के लिए प्रदेश में टैक्स फ्री (dada lakmi movie tax free in haryana) करने का भी ऐलान किया है. फिल्म निर्माता एवं अभिनेता यशपाल शर्मा (actor yashpal sharma) ने बताया कि छह साल की कड़ी मेहनत के बाद ये फिल्म तैयार हुई है.

दादा लखमी फिल्म हरियाणा में टैक्स फ्री, यशपाल शर्मा बोले- 6 साल की कड़ी मेहनत से हूं संतुष्ट

इस फिल्म में दादा लख्मी के जीवन के बारे में जानने और समझने के लिए हरियाणा के कोने-कोने में बुजुर्ग लोगों से संपर्क किया, उनसे जानकारी जुटाई और 6 साल की मेहनत के बाद फ़िल्म जो निकलकर आई. उससे मैं संतुष्ट हूं. उम्मीद है लोगों को भी ये पसंद आएगी. दादा लख्मी पर बनी फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है. दादा लख्मी फिल्म को माननीय राष्ट्रपति द्वारा 'राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार' से सर्वोत्तम हरियाणवी फिल्म के रूप में पुरस्कृत किया गया है.

इसके अतिरिक्त 63 से ज्यादा अंतराष्ट्रीय भी पुरस्कार मिल चुके हैं. ये हरियाणा की एक मात्र फिल्म है, जो आज तक के इतिहास में कांस फेस्टिवल में 2021 में ऑनलाइन प्रदर्शित की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये फिल्म लगभग 300 लोगों की 6 साल की कड़ी मेहनत का परिणाम है. पंडित लख्मीपंड़ित लख्मीचंद (haryanvi folk singer dada lakhmichand) हरियाणा और हरियाणवी की शान थे.

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सोनीपत जिले के गांव जाटी में उनका जन्म हुआ. छोटी उम्र में ही वो इतने प्रसिद्ध हो गए थे, कि लोग 50-50 मील से बैलगाड़ी पर उनकी रागिनी सुनने और स्वांग देखने के लिए आया करते थे. उन्हें हरियाणा का शेक्सपियर कहा जा सकता है. उनके द्वारा रचित रचनाओं को आज भी नए दौर के गायक नए-नए रूप में प्रस्तुत करते हैं. हरियाणा और हरियाणवी बोली के लिए दादा लख्मी का योगदान अतुल्य है.

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