टोहाना:सरकार के की तरफ से शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों को निर्देश है कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चों को निशुल्क शिक्षा दें. जिसका पैसा सरकार के की तरफ से उनके खातों में दिया जाएगा, लेकिन इस को लेकर निजी स्कूल में अभाव अक्सर आमने सामने रहते हैं. इसी को लेकर जब हमने निजी स्कूल के संचालकों से विभाग को से बात की तो निकल कर आया कि सरकार ने यह अधिकार बना तो दिया, लेकिन इस को लागू करने में कई तरह की खामियां हैं.
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश प्रवक्ता विनय वर्मा बताते हैं कि सरकारी कर्मचारी के लिए बच्चे के लिए सरकार के द्वारा 1,125 रुपए की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है, जबकि134 के तहत निजी स्कूल में जो बच्चे पढ़ रहे हैं. उन्हें सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में 200 से 300 रुपए शहरी क्षेत्र में 300 से 400 रुपए प्रतिपूर्ति तय किए गए हैं. जबकि कक्षा 9 से लेकर 12 तक इसके बारे में सरकार का कोई कार्यक्रम सामने नहीं आया है.
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गरीबी को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं हैं- विनय शर्मा
वहीं गरीबी रेखा को लेकर भी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं, जिसके चलते असली गरीब तक इसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा. विनय वर्मा यह भी बताते हैं की जिला फतेहाबाद में वर्ष 2019- 2020 वर्ष 2020 -2021 के दौरान प्रतिपूर्ति राशि की किस्त नहीं आई है जिसकी वजह से उन्हें करोड़ों काल में बेहद परेशानी का सामना भी करना पड़ा.
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'प्रतिपूर्ति राशि जरूरत से काफी कम दी जाती है'
वहीं हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के स्टेट लीगल एडवाइजर गौरव भूटानी कहते हैं कि प्राइवेट स्कूल सरकार के शिक्षा के अधिकार कानून का स्वागत करते हैं, लेकिन सरकार के द्वारा जो प्रतिपूर्ति राशि दी जा रही है वह काफी कम है. इसे पंद्रह सौ से दो हजार रुपए तक किया जाना चाहिए. वहीं उनका यह कहना है कि सरकार इस अधिकार के तहत प्रतिपूर्ति राशि की घोषणा जब बजट बनाए तभी करें, साथ में यह भी समय निर्धारित करें कि कितने समय में यह राशि उन तक पहुंच जाएगी, क्योंकि यह राशि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों तक नहीं पहुंच पा रही है.
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