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Surajkund Mela 2022: छत्तीसगढ़ के शिल्पकार ने कन्हार मिट्टी और भूसे से तैयार की डाई से बनाई कलाकृतियां

छत्तीसगढ़ के शिल्पकार कन्हार मिट्टी और धान भूसा से तैयार की डाई से प्राचीन सभय्ता से जुड़ी कलाकृति बनाकर 35वें सूरजकुंड मेले (Surajkund International Crafts Mela 2022) में लेकर आए हैं. मेले में ये कलाकृतियां लोगों को बेहद आकर्षित कर रही हैं.

Chhattisgarh artist in surajkund mela
Chhattisgarh artist in surajkund mela

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Published : Mar 25, 2022, 5:50 PM IST

फरीदाबाद:बाजार में आजकल सजावट के उत्पादों सहित दूसरे उत्पादों में डाई का उपयोग किया जाता है. डाई यानी के किसी भी वस्तु को बनाने से पहले उस उत्पाद का भौतिक ढांचा पहले ही तैयार कर लिया जाता है और उसी के बल पर थोड़े समय में ज्यादा उत्पाद बना लिए जाते हैं. डाई आमतौर पर लोहे से बनाई जाती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के कलाकार ने कन्हार मिट्टी और धान भूसा का प्रयोग करते हुए मिट्टी की डाई बनाकर दर्जनों प्राचीन समय की कलाकृतियां और घरों में इस्तेमाल होने वाले दूसरे उत्पाद तैयार कर दिए हैं. 35वें सूरजकुंड मेले (Surajkund International Crafts Mela 2022) में ये कलाकृतियां लोगों को बेहद आकर्षित कर रही हैं.

शिल्पकार मिंकेत बघेल का कहना है कि वे जितनी भी कलाकृतियां और उत्पाद बना रहे हैं वह पूरे हाथ से बनाए हुए हैं और इनको बनाने के लिए उन्होंने मिट्टी से तैयार की गई डाई का प्रयोग किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि कन्हार मिट्टी और धान भूसा को मिलाकर डाई तैयार की जाती है और इसके लिए कोई काव्य वर्क नहीं किया जाता. बल्कि उनके आसपास के जो चीजें हैं उनको देखकर ही उन्हीं के जैसा उत्पाद बनाने के लिए वह डाई बनाते हैं. साथ ही प्राचीन सभ्यता के प्रति कलाकृतियों की भी वह मिट्टी के द्वारा ही डाई बनाते हैं.

छत्तीसगढ़ के शिल्पकार ने कन्हार मिट्टी और भूसे से तैयार की डाई से बनाई कलाकृतियां

डाई बनाने के बाद मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले मल, सरिया झाड़ से निकलने वाली धूपबत्ती, और सरसों के तेल को मिलाकर उनको पिघलाया जाता है. जिसके बाद उससे तार (धागा) तैयार किया जाता है और उस धागे से जो भी वस्तु या कलाकृति बनानी होती है उसका चिकनी मिट्टी के ऊपर डिजाइन तैयार किया जाता है. जिससे कि चिकनी मिट्टी पर फोटोकॉपी आ जाती है. जिसके बाद लाल मिट्टी को सपोर्ट की सहायता के लिए तैयार किया जाता है और उसके बाद उसमें लकड़ी भरकर उसको जलाया जाता है.

कन्हार मिट्टी और भूसे से तैयार की डाई से बनाई कलाकृतियां

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आग लगने के बाद धागा जलकर खत्म हो जाता है और उसमें एक सुराग की सहायता से अंदर पीतल को भरा जाता है. जिसके बाद मिट्टी से हटाकर उत्पाद को निकाल लिया जाता है. इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा उपयोग मिट्टी का होता है क्योंकि मिट्टी से ही वह लोग डाई तैयार करते हैं. उनके सभी उत्पाद या कलाकृतियां हाथ से बनी हुई हैं क्योंकि हाथ से जो उत्पाद और कलाकृतियां बनती हैं वह सब अलग-अलग होती हैं. उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज इसी काम को करते हुए आ रहे हैं और अब उनकी इस कला को वह लोग आगे बढ़ा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के कलाकार की कलाकृतियां

उन्होंने कहा कि सूरजकुंड में वो इकलौते वो ऐसे क्राफ्ट्समैन हैं जो धागे से कलाकृतियां और उत्पाद तैयार करके मेले में लाए हैं. वह प्राचीन समय में प्रयोग में आने वाला व्रत विभिन्न प्रकार के फलों की कलाकृतियां, पशु पक्षियों सहित अन्य उत्पाद बनाकर लेकर आए हैं जिसके लिए उनको नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

छत्तीसगढ़ के कलाकार की कलाकृतियां

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