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चरखी दादरी: नमी के चलते नहीं खरीदी कपास की फसल, मायूस लौट रहे किसान

चरखी दादरी में कपास के किसान अपनी फसल को लेकर आ रहे लेकिन उनकी खरीद नहीं हो रही है. लंबे इंतजार के बाद किसानों को नमी के नाम पर वापस भेजा जा रहा है.

Farmers upset due to non-purchase of cotton crops in Charkhi Dadri
Farmers upset due to non-purchase of cotton crops in Charkhi Dadri

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Published : Oct 19, 2020, 5:35 PM IST

चरखी दादरी: जिले में किसान अपनी सफेद सोना यानी कपास की फसल को को लेकर परेशान है. किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. कपास की फसल को एमएसपी रेट पर बेचने के लिए जहां नमी का झमेला बताकर बैरंग लौटाया जा रहा है. वहीं किसान मंडी अधिकारियों के चक्कर काटने पर मजबूर है.

लंबे इंतजार के बाद भी कपास की फसल की खरीद नहीं होने से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मार्केट कमेटी कार्यालय में पहुंचे किसानों ने मंडी अधिकारियों व मिल मालिकों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए नमी के नाम पर हजारों रुपये की चपत लगाने की बात कही है.

दादरी में लंबे इंतजार के बाद भी नहीं खरीदी गई कपास की फसल, देखें वीडियो

बता दें कि चरखी दादरी की अनाज मंडी में 12 अक्टूबर से कपास की एमएसपी रेट पर खरीद शुरू की थी. अब तक नाममात्र ही किसानों की कपास की खरीद की गई है. सुबह से मंडी में कपास की फसल लेकर पहुंचे किसानों को लंबे इंतजार के बाद भी खरीद नहीं होने से बैरंग लौटना पड़ा. मंडी के बाहर कपास से भरे सैंकड़ों वाहनों की लाइनें लगी हुई हैं.

कभी नमी के नाम पर तो कभी सफाई के नाम पर कई किलोग्राम की कटौती होने से किसान मार्केट कमेटी व मंडी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. किसान जयबीर सिंह व विरेंद्र ने बताया कि मंडी अधिकारियों की कार्यप्रणाली के चलते कपास बेचने मेें काफी परेशानियां हो रही हैं. मंडी में कपास की फसल पास करके मीलों में लेकर जाते हैं तो नमी के नाम या तो बैरंग लौटा दिया जाता है या फिर नमी व सफाई के नाम पर कई किलोग्राम की कटौती की जाती है.

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ऐसे में किसानों को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. किसान सुबह से ही खरीद के लिए इंतजार कर रहे हैं. खरीद नहीं होने पर उनको बैरंग लौटना पड़ेगा. वहीं कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अधिकारी अंकित परिहार ने बताया कि 12 अक्टूबर से कपास की खरीद शुरू की गई है. अभी करीब पांच सौ किसानों की कपास पास करते हुए मिलों में भेजी है. अगर नमी या सफाई के नाम पर कटौती होती है तो वे इसकी जांच करेंगे.

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