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कोरोना संकट में युवाओं को सता रहा भविष्य का डर, आपदा को अवसर में कैसे बदलें नौजवान

आजकल युवाओं को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने करियर की भी चिंता भी सता रही है. कोरोना के चलते युवाओं की पढ़ाई के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर भी असर पड़ा है. यही कारण है कि आज का नौजवान मानसिक तनाव का शिकार हो रहा है.

Youth suffering mental stress in Corona crisis
Youth suffering mental stress in Corona crisis

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Published : Jul 27, 2020, 7:40 PM IST

चंड़ीगढ़ः कोरोना के इस दौर में समाज का हर वर्ग चिंता में है. खासकर युवा वर्ग, यानि आने वाले कल का भविष्य. युवाओं को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने करियर की भी चिंता है, यही कारण है कि आज का नौजवान मानसिक तनाव का शिकार हो रहा है. ईटीवी भारत कोरोना के इस दौर में हर वर्ग की बात कर रहा है, इसी कड़ी में हमने चंडीगढ़ में कुछ युवाओं से जानना चाहा कि आखिर इस दौर में वह क्या सोच रहे हैं.

'विदेश जाकर करनी थी पढ़ाई'

हमें कई ऐसे युवा मिले जो विदेश में पढ़ाई का सपना देख रहे थे. जिसके लिए वह तैयारी भी कर चुके थे, लेकिन कोरोना की वजह से वह विदेश नहीं जा पाए. छात्रों को कहना था कि हमने विदेश जाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली थी, लेकिन कोरोना ने पूरी तैयारी पर पानी फेर दिया है. फिलहाल विदेश जाने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

आपदा को अवसर में बदलें नौजवान

परीक्षाओं की तैयारी पर फिरा पानी

कुछ ऐसे भी छात्र मिले जो अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. अपनी परीक्षाओं को लेकर ये छात्र काफी तनाव में दिखे. इनका कहना था कि हर साल परीक्षाओं की तारीख लगभग सामान्य ही रहती है. उसी हिसाब से हम इस साल भी अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कोरोना की वजह से परीक्षाएं टाल दी गई हैं. अब उन्हें नहीं पता की परीक्षाएं कब होंगी. इस वजह से उनकी सारी तैयारी बर्बाद होती दिख रही है. यूपीएससी की तैयारी कर रहे गुरअमृत सिंह और जेईई की तैयारी कर रहे अभय ने कहा कि अपनी मेहनत को बेकार जाते देख उन्हें काफी बुरा महसूस हो रहा है.

नौकरी की तलाश

बहुत से ऐसे भी छात्र हैं जो इस साल पास आउट हुए हैं और नौकरी की तलाश में थे, लेकिन कोरोना की वजह से नौकरियों का तो मानों सूखा पड़ गया हो. चंडीगढ़ के साहिल सिंगला और अर्श आहूजा ने कहा कि वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं, क्योंकि उन्होंने सोचा था कि कॉलेज से पास आउट होने के बाद वो कहीं ना कहीं नौकरी ज्वाइन कर लेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

फिलहाल कंपनियां नौकरियां नहीं दे रही है, बल्कि जो लोग पहले से नौकरी कर रहे हैं उनकी नौकरियां बी जा रही है. ऐसे में नए लोगों को नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है.

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अभिभावकों को भी सता रही चिंता

बच्चों के माता-पिता और आम लोग भी कोरोना संकट की वजह से तनाव झेल रहे हैं. उन्हें भी कई तरह का डर सता रहा है. इन लोगों को एक और करोना का डर है तो दूसरी और बच्चों के भविष्य का.

क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट ?

इन सभी मामलों को लेकर हमने जानी-मानी साइकोलॉजिस्ट नीरू अत्री से भी बात की. नीरू अत्री ने बताया कि जो बच्चे विदेश में पढ़ाई करने के लिए जाना चाहते थे और वह नहीं जा पाए या जो बच्चे कई तरह की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे और उनकी परीक्षाएं टल गई है. इस वजह से बच्चों में तनाव होना स्वभाविक है. क्योंकि उन्हें यह लग रहा कि उनकी सारी तैयारी, सारी मेहनत खराब हो जाएगी. उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को इस बात से निराश होने की जरूरत नहीं है. यह हालात हमेशा नहीं रहने वाले. कुछ दिनों बाद हालात सामान्य हो जाएंगे और वह सभी काम कर सकेंगे.

नीरू अत्री ने कहा कि बच्चों को इस बात को इस तरह से लेना चाहिए कि उन्हें थोड़ा ज्यादा टाइम मिल गया है, . यानि युवाओं को इस समय सकारात्मकता का परिचय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो छात्र इस साल पास आउट हुए थे और नौकरी तलाश कर रहे हैं. उन्हें भी कोरोना महा संकट में फैली मंदी से घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि मंदी भी ज्यादा दिन नहीं रहेगी और कंपनियां जल्दी ही युवाओं को नौकरियों के लिए बुलाना शुरू कर देंगी ।

कुल मिलाकर युवाओं के इस समय सकारात्मकता का परिचय देना चाहिए. कोई भी आपदा हमेशा अवसर लेकर आती है. इसलिए युवाओं को घबराने क या चिंता करने की ज्यादा जरुरत नहीं है. आपदा की इस घड़ी में कुछ नया सीखें और हमेशा सीखते रहें.

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