चंडीगढ़: पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने आंदोलन को लेकर शनिवार को धमाकेदार खुलासा किया है. पहलवानों ने इसी साल जनवरी महीने में पहली बार भारतीय रेसलिंग फेडरेशन (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना शुरू किया था. धरने की शुरुआत में पहलवानों पर कई तरह के आरोप लगाये गये. आंदोलन के पीछे विपक्ष, खासकर कांग्रेस की साजिश का इल्जाम भी लगाया गया. इन्हीं सब मामलों को लेकर पहलवान साक्षी मलिक ने अपने ट्वीटर हैंडल से एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में साक्षी अपने पति सत्यव्रत कादियान के साथ आंदोलन के कई सवालों का जवाब दे रही हैं.
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वीडियों में सबसे पहले साक्षी मलिक के पति सत्यव्रत कादयान ने आंदोलन के पीछे विपक्ष की साजिश वाले मुद्दे पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ कई तरह के नैरेटिव बनाये जा रहे हैं. कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं तो कुछ लोग इसके पीछे कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा का हाथ बता रहे हैं. सत्यव्रत कादियान इस कह रहे हैं कि जंतर-मंतर पर होने वाले पहलवानों के सबसे पहले धरने का परमीशन दो बीजेपी नेताओं के नाम पर लिया गया था. सत्यव्रत उनका नाम बताने के साथ ही एक लेटर भी वीडियो में दिखा रहे हैं.
जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण धरने के लिए अनुमति मांगने वाले नेताओं में तीरथ राणा और बबीता फोगाट का नाम है. सत्यव्रत कादियान कहते हैं कि ये कैसे हो सकता है कि ये आंदोलन कांग्रेस ने कराया हो. साक्षी मलिक के पति सत्यव्रत कादियान कह रहे हैं कि अगर आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ होता तो धरने का परमीशन बीजेपी नेताओं के नाम पर क्यों होता. आपको बता दें कि बबीता फोगाट बीजेपी नेता होने के साथ-साथ पहलवान विनेश फोगाट की बहन हैं और बजरंग पुनिया की रिश्तेदार भी. कादियान कहते हैं कि कुश्ती से जुड़े 90 प्रतिशत लोगों को ये पता था कि 10-12 साल से महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ हो रही है.
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वीडियो में साक्षी मलिक के पति कह रहे हैं कि उनकी लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ है. उन्होंने पद पर रहते हुए महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है. वीडियों में साक्षी मलिक कह रही हैं कि हम अब तक इसलिए चुप थे क्योंकि पहलवानों में एकता नहीं थी. नाबालिग लड़की के बारे में बोलते हुए साक्षी कहती हैं कि पहले उसका 161 का बयान हुआ उसके बाद 164 के तहत बयान दर्ज किया गया. बाद में उसने बयान बदल दिया क्योंकि उसे डराया धमकाया गया था. साक्षी मलिक आगे कह रही हैं कि हमारे साथ 28 मई को बहुत बदसलूकी की गई. हमनें संविधान के दायरे में रहकर प्रदर्शन किया था. इस वजह से हम आहत हुए और मेडल को गंगा में प्रवाहित करने का फैसला किया. सरकार की बनाई गई कमेटी से हमें न्याय नहीं मिला इसलिए हमने दोबारा आंदोलन शुरू किया.
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