हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

पड़ताल: हरियाणा सरकार के शेल्टर होम्स में रह रहे हैं 16000 प्रवासी मजदूर, जानें क्या हैं इनके हाल

लॉकडाउन से बेहाल राजस्थान, पंजाब, हिमाचल और हरियाणा के कई जिलों अपने घरों की तरफ पैदल चले मजदूरों को हरियाणा में शेल्टर होम्स में ठहराया गया है. ईटीवी भारत हरियाणा ने इस पड़ताल में ये जानने की कोशिश की कि इन मजदूरों के लिए शेल्टर होम में क्या व्यवस्था की गई है, विस्तार से जानें-

report on arrangement of shelter homes of mygrant labors in haryana
हरियाणा सरकार के शेल्टर होम्स में रह रहे हैं 16000 प्रवासी मजदूर

By

Published : Apr 12, 2020, 10:20 AM IST

चंडीगढ़:देश में लॉकडाउन होने के बाद अलग-अलग राज्यों से प्रवासी मजदूरों ने पलायन करन शुरू कर दिया था. जब स्थिति हाथ से निकली तो सभी सरकारों ने भी इस पलायन को रोकने के लिए प्रयास तेज कर दिए थे. हरियाणा और चंडीगढ़ समेत देश के कई राज्यों ने प्रवासी मजदूरों का पलायन रोकने के लिए उन्हें शेल्टर होम मुहैया करवाने और उन्हें खाना पहुंचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी. जिससे पलायन को काफी हद तक रोका जा रहा है, लेकिन बड़ी बात ये है कि महामारी के बीच इतनी भारी संख्या में मजदूरों और उनके परिवारों को सरकार कैसे मैनेज कर रही है. ईटीवी भारत हरियाणा ने इसी बात की तस्दीक करने के लिए पूरे हरियाणा में पड़ताल की.

अगर हरियाणा की बात की जाए तो यहां पर लाखों प्रवासी मजदूर रहते हैं. इसके अलावा रेहड़ी फड़ी लगाने वालों की संख्या भी लाखों में है. ऐसे में सरकार के सामने इन प्रवासियों का पलायन रोकना और इन्हें राज्य में रखते हुए मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाना एक चुनौती है.

हरियाणा सरकार के शेल्टर होम्स में रह रहे हैं 16000 प्रवासी मजदूर, रिपोर्ट

स्कूलों, बारात घरों, पंचायत भवनों को बनाया शेल्टर होम

हरियाणा सरकार इन मजदूरों को रहने और इन्हें खाना पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है. इसके लिए सरकार ने अपने विभागों के अलावा बहुत ही सामाजिक संस्थाओं की सहायता भी ली है. सरकार ने हरियाणा के बहुत से स्कूलों, बारात घरों, सामुदायिक केंद्रों, पंचायत घरों आदि को शेल्टर होम में बदल दिया है. जहां पर इन प्रवासी मजदूरों को रखा जा रहा है.

पलायन रोकने के लिए बनाए गए थे शेल्टर होम

अप्रवासी श्रमिकों के पलायन को देखते हुए हरियाणा सरकार ने सभी जिलों की सीमाएं सील करते हुए प्रवासी श्रमिकों को जिलों में ही रोके जाने के आदेश जारी किए थे. प्रदेश में इसके तुरंत बाद 16 हजार अप्रवासी श्रमिकों को शेल्टर होम्स में रोका गया है. इसके अलावा कई स्कूलों को भी शेल्टर होम में तब्दील करते हुए श्रमिकों को वहां रोका गया है. हाल ही में हरियाणा सरकार की तरफ से जिला उपायुक्तों को 1-1 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, जिसमें अन्य व्यवस्थाओं के साथ साथ अप्रवासी मजदूरों की व्यवस्था को भी सुनिश्चित करने को कहा गया गया था.

हर जिले में है 5 से 10 शेल्टर होम

पंचकूला जिले में ही है करीब 7 शेल्टर होम में 350 के करीब प्रवासी श्रमिकों को रोका गया. सभी शेल्टर होम्स में श्रमिकों के लिए रहने खाने की व्यवस्था के साथ-साथ मनोरंजन के लिए टीवी की भी व्यवस्था की गई है. हालांकि इस बीच इन श्रमिकों को अपने परिवारों की चिंता सताने लगी है सभी अपने घर जाना चाहते हैं और 14 अप्रैल यानी लोकडाउन खत्म होने के दिन का इंतजार कर रहे हैं.

हरियाणा में रोके गए अधिकतर श्रमिक पंजाब, हिमाचल से आने वाले हैं जो कि उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल, राजस्थान की तरफ कूच कर रहे थे. वही पंचकूला के सेल्टर होम्स में नेपाल के निवासी जोकि नेपाल से हिमाचल में सेबों की खेती के लिए निकले थे उन्हें भी रोका गया है.

मजदूरों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो इनमें से सभी अपने घरों की तरफ जाना चाहते थे. श्रमिकों के अनुसार जहां काम कर रहे थे वहां काम ठप्प होने और रहने खाने की व्यवस्था नहीं है. इसलिए वो अब अपने प्रदेशों के लिए पैदल निकले गए थे.

18 लाख प्रवासी मजदूर हरियाणा में रोजी-रोटी कमाते हैं!

एक अनुमान के हरियाणा में करीब 18 लाख प्रवासी मजदूर हैं. इनमें से बहुत से मजदूर लॉकडाउन के बाद अपने गृह राज्यों के लिए निकल गए थे. इसके अलावा हरियाणा में करीब 35 लाख दिहाड़ी करने वाले मजदूर हैं. करीब 50000 लोग बेघर हैं. करीब 15 लाख रेहड़ी फड़ी लगाने वाले गरीब लोग हैं.

चंडीगढ़ में हैं 1 लाख प्रवासी मजदूर

अगर प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ की बात की जाए तो यहां भी प्रशासन मजदूरों के पलायन को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहा है. चंडीगढ़ में करीब 1 लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं. इनमें से बहुत से मजदूर लॉक डाउन के बाद अपने अपने गृह राज्य में लौटना चाहते थे, लेकिन प्रशासन की कोशिशों के बाद बहुत से मजदूरों को पलायन करने से रोक लिया गया है.

ये मजदूर किसी भी तरह अपने राज्यों में लौटना चाहते थे, लेकिन सरकार ने उन्हें शेल्टर होम मुहैया करवाए हैं और जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता, तब तक हम सब यहां पर रह सकते हैं. सरकार की ओर से यहां पर सभी सुविधाएं दी गई हैं. यहां पर सभी प्रवासियों को खाना दिया जा रहा है और मेडिकल चेकअप भी किया जा रहा है. ताकि सब लोगों की के स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जा सके. ये सभी बेताबी से 14 अप्रैल का इंतजार हैं. लॉक डाउन खुलने के बाद किसी तरह अपने घर जा सके. हालांकि इन्हें यह भी चिंता सता रही है कि लॉकडाउन अगर और आगे बढ़ा तो फिर परिवारों का क्या होगा?

ये भी पढ़ें- लॉकडाउनः फूल की खेती बर्बाद, अकेले जींद को 50 लाख से ज्यादा का नुकसान

ABOUT THE AUTHOR

...view details