चंडीगढ़:केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए नए कृषि कानूनों का असर अब धान खरीद प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है. नए कानून के मुताबिक अब किसी भी राज्य का किसान किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसल बेच सकता है, लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि ये बात कहने में जितनी आसान जान पड़ती है वो वास्तविकता में भी उतना ही आसान है? तो इसका जवाब है नहीं.
हरियाणा सरकार ने 27 सितंबर को ऐलान किया कि हरियाणा की मंडियों में नए कानून के मुताबिक एमएसपी पर धान खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नतीजतन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से सैकड़ों किसान अपनी फसल लेकर हरियाणा की तरफ रुख कर चुके हैं, लेकिन अब एक नियम ने पेंच फंसा दिया है, जिससे बाहरी किसान असमंजस में आ गए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि फिलहाल क्यों बाहरी किसानों की हालत 'ना घर के ना घाट के' वाली हो गई है.
ये बाहरी किसानों के लिए गाइडलाइन?
हरियाणा सरकार की नई पॉलिसी के तहत किसान किसी अन्य राज्य में अपनी फसलें बेच तो सकता है, लेकिन उसे एक व्यवस्थित प्रक्रिया का पालन करना होगा. इस गाइडलाइन के अनुसार किसानों सीधा अपनी फसल मंडी में नहीं बेच सकता है. बाहरी किसानों को फसल बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. जिसमें उस किसान को अपना और अपनी फसल की पूरी जानकारी देनी होगी. इस आवेदन के बाद मंडी अलॉट की जाएगी जहां जाकर सरकारी एजेंसियों को अपनी फसल बेच सकेगा.
सरकारी तौर पर ये कहना बहुत आसान है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया काफी जटिल और सुस्त है. करनाल बॉर्डर पर पहुंचे उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि उन्हें खेतों से अपनी फसल उठाए हुए 20 से 25 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक ये नहीं पता कि उनकी फसल बिकेगी भी या नहीं.
फसलों के साथ बॉर्डर पर फंसे किसान
बाकी किसानों की ही तरह करनाल बॉर्डर पहुंचे किसान ध्यान सिंह का कहना है कि 23 तारीख को वो धान लेकर मंडी में पहुंचे हैं, लेकिन उनका अभी तक धान नहीं बिक रहा है. बहुत ज्यादा समस्या आ रही है. उन्होंने कहा कि मोदी जी ने तो कहा था कि किसान अपनी फसल कहीं भी किसी भी मंडी में बेच सकते हैं, लेकिन उन्हें तो यहां पुलिस तंग कर रही है. उनकी धान की भरी ट्रालियों को सीमा पर ही रोका जा रहा है, जब इसकी वजह पुलिस से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनको यही आदेश जारी हुए हैं कि पहले हरियाणा की धान मंडी में बेची जाएगी उसके बाद यूपी की.
नियमों की अधूरी जानकारी से परेशान आढ़ती
वहीं आढ़तियों ने भी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए. करनाल मंडी में मौजूद आढ़तियों का कहना है कि सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं है. पहले जब माल की एंट्री हो जाती है तो बारदाना नहीं मिलता है, ना ही सिलाई वाला मिलता है. अब सरकार माल ही नहीं दे रही है जिससे पूरी मंडी व्यवस्था बिगड़ गई है. आढ़तियों की मांग है कि जब तक खरीद एजेंसियां राइस मिलरों को साथ लेकर मंडियों में नहीं आएंगी तब तक वे खरीद का कार्य शुरू नहीं करेंगे. वहीं राइस मिलरों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी तब तक वे मंडियों से माल नहीं खरीदेंगे.
'पहले हरियाणा की धान बिकेगी, फिर बाहरी'