चंडीगढ़:हरियाणा और पंजाब के बीच करीब दो दशक से सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) लिंक नहर का मुद्दा चल रहा है. इस मामले का समाधान दोनों राज्यों के बीच कई दौर की बैठकें और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी नहीं हो पाया है. उसके बाद भी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. बुधवार को इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई होगी.
एसवाईएल मामले पर पिछली सुनवाई 19 जनवरी को हुई थी. उस दिन अटॉर्नी जनरल के पेश ना हो पाने की वजह से सुनवाई स्थगित हो गई थी. सतलुज यमुना लिंक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद दोनों राज्य यानी पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की भी दो दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन इन बैठकों में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया था. जिसके बाद फिर से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय लेता है इस पर सबकी नजरें टिकी हैं.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को बैठकर हल निकालने के लिए कहा था. लेकिन इन प्रयासों के बावजूद इस मामले का कोई हल नहीं निकल पाया. केंद्र सरकार इस मामले में कह चुकी है कि पंजाब सरकार इसमें सहयोग नहीं कर रही है. वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि मसला केवल पानी का नहीं बल्कि नहर बनाने का है. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में इसका कोई ना कोई हल जरूर निकलेगा. इस मुद्दे को लेकर हाल फिलहाल 3 बैठकें हो चुकी है जिसमें कोई भी समाधान नहीं निकल पाया था.
सतलुज यमुना लिंक नहर या एसवाईएल, सतलुज और यमुना नदियों को जोड़ने के लिए बनाई जाने वाली करीब 214 किलोमीटर लंबी नहर है. ये नहर पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे के रूप में प्रस्तावित है और पंजाब से निकलने वाली सतलुज को हरियाणा में यमुना से जोड़ेगी. अलग हरियाणा राज्य के गठन के बाद उसके हिस्से का पानी देने के लिए इस नहर का निर्माण कराया जाना था. हरियाणा ने अपने हिस्से की 92 किलोमीटर नहर का निर्माण पूरा कर लिया है लेकिन पंजाब ने पानी देने से इनकार कर दिया और वहां आज तक नहर नहीं बन पाई.
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