हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र इस बार कई मायनों में खास रहा. हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही पहली बार दो भागों में हुई. जिसमें पहला हिस्सा फरवरी में तो दूसरा मार्च में हुआ. इसके साथ ही इस बार के सत्र में किसी एक विधायक को दो बार विधानसभा स्पीकर नेम किया. वहीं कई और आंकड़े भी सदन की कार्यवाही में देखने को मिले.
दो चरणों में हुई सदन की कार्यवाही: हरियाणा विधानसभा के लिए ऐतिहासिक क्षण तक विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही दो अलग-अलग चरणों में हुई. विधानसभा के बजट सत्र का पहला चरण 20 फरवरी से 23 फरवरी तक चला. जिसमें शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से हुई और अभिभाषण की चर्चा में 43 सदस्यों ने हिस्सा लिया. राज्यपाल के अभिभाषण पर 6 घंटा 42 मिनट का समय चर्चा पर दिया गया. जबकि 23 फरवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश का बजट पेश किया.
दूसरा चरण भी रहा खास: विधानसभा का दूसरा सत्र 17 से 22 मार्च को हुआ. बजट पर चर्चा के लिए विधानसभा की ओर से आठ स्टैंडिंग कमेटियां बनाई गई थी. इन कमेटियों ने अधिकारियों के साथ मिलकर बजट पर चर्चा की. जिन्होंने अपनी रिपोर्ट 17 मार्च को विधानसभा में पेश की. इसके साथ ही विधानसभा के सत्र के दौरान ब्रेक में 6 मार्च को प्राइड की टीम ने विधायकों को बजट का प्रशिक्षण भी दिया.
बजट पर चर्चा: विधानसभा की ओर से जो कमेटियों का गठन किया गया था उनके और अधिकारियों ने जिन बातों को लेकर चर्चा की थी और जो रिपोर्ट उन्होंने विधानसभा में रखी थी. उनके सुझावों पर सीएम और वित्त मंत्री ने 17 से 22 मार्च को चर्चा में शामिल किया. इसके साथ ही बजट पर 3 दिन चर्चा हुई. जो करीब 9 घंटे 33 मिनट चली. 55 सदस्यों ने बजट चर्चा में शामिल हुए.
6 दिन, 58 विधायक:इसके साथ ही विधानसभा में जीरो ओवर में भी विधायकों ने अपनी बात को रखा. विधानसभा में शुरू हुए इस जीरो ओवर में 6 दिन में 58 विधायकों ने अपनी बात रखी. विधानसभा में जीरो और मैं 6 घंटे 26 मिनट चर्चा हुई. इसमें खास बात यह है कि जीरो ओवर में चर्चा के लिए 58 विधायकों ने इच्छा प्रकट की थी और उन सभी को इसमें अपनी बात रखने का मौका मिला.
सदन में 95 फीसदी कागज की बचत: इस विधानसभा सत्र की जो खास बात रही वह यह भी थी कि 12 मंत्रियों ने तो अपना जवाब सदन में देना ही था. साथ ही स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को छोड़ दिया जाए. तो सभी विधायकों ने किसी न किसी चर्चा में हिस्सा लिया और अपनी बात रखी. इस बार विधानसभा के तहत ज्यादातर सत्र की कार्यवाही नेवा पोर्टल पर प्रस्तुत की गई. जिससे करीब 95% पेपर की बचत हुई. हालांकि पिछली बार के मुकाबले पेपर इस बार थोड़ा ज्यादा इस्तेमाल हुए. क्योंकि कुछ सदस्यों ने बजट की हार्ड कॉपी मांगी थी.
सदन की प्रोडक्टिविटी कितनी प्रतिशत: जहां तक बात विधानसभा सत्र की प्रोडक्टिविटी की बात है, तो वह इस बार 100.79 फीसदी रही. क्योंकि आप विधानसभा में बैठक का समय भी 4 घंटे से 6 घंटे किया गया है. तो इससे विधानसभा के कामकाज की अवधि भी बड़ी है. इस बार विधानसभा में 8 सिटिंग हुई. जिनमें 39 घंटे 16 मिनट चर्चा हुई. जिसमें से राज्यपाल अभिभाषण का समय अलग था.
किस पर कितनी हुई चर्चा:इसके साथ ही इस बार विधानसभा सत्र में कॉलिंग अटेंशन 79 आए थे. जिनमे से 12 पर विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा हुई. एडजर्नमेंट मोशन दो आए थे, दोनों अस्वीकृत हुए. इसके साथ ही दोनों ऑफिशल रेजोल्यूशन भी आए थे. वे दोनों भी अस्वीकृत हुए. इसके साथ ही शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन के लिए भी दो प्रस्ताव आए थे, जिसमें से एक पर चर्चा हुई.
इतने विधेयक हुए पास: इसके साथ ही विधानसभा में इस बार एक प्राइवेट मेंबर बिल भी आया था. जो कि नियमों को पूरा नहीं कर रहा था. इसलिए उसे रिजेक्ट करना पड़ा. इसके साथ ही विधानसभा में इस बार 7 विधेयक आए थे. जिनमें से एक सरकार ने वापिस ले लिया. यानी छह विधेयक पास हुए. हरियाणा नगर निगम संशोधन विधेयक 2023 सरकार ने वापस ले लिया.
ये भी पढ़ें:हिमाचल में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस के विरोध में हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित, जानिए क्या है पूरा मामला?
किसको कितना समय मिला: वहीं, इस बार विधानसभा के सत्र में कुल स्टार्ट क्वेश्चन 339 आए थे. जिसमें से 177 एडमिट हुए. जो 52 विधायकों के सवाल थे. बीजेपी को राज्यपाल अभिभाषण पर 217 मिनट बोलने का मौका मिला, 28 मिनट जेजेपी, 134 मिनट कांग्रेस और 23 मिनट निर्दलीय को बोलने का मौका मिला. बजट पर चर्चा के दौरान बीजेपी के 25 सदस्य ने 310 मिनट जिसमें मुख्यमंत्री का रिप्लाई भी शामिल है. जेजेपी 47 मिनट, कांग्रेस 175 मिनट, निर्दलीय 41 मिनट शामिल है कुल 9 घंटे 33 मिनट बजट पर चर्चा हुई.
जानिए किसको किया डीबीआर: वहीं, इस बार विधानसभा में दो बार ऐसा मौका भी आया जब भाषा की मर्यादा की वजह से इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक अभय चौटाला को दो बार नेम किया. जिसमें उन्हें पहली बार सत्र के पहले चरण में 2 दिन के लिए नेम किया गया था. जबकि दूसरे चरण में 1 दिन के लिए नेम किया गया. अभय सिंह चौटाला द्वारा किए गए व्यवहार को लेकर उनको सदन से डीबार करने के सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि हम किसी भी सदस्य को डीबार नहीं करना चाहते. उनका यानी सदस्य का एवं लोकतांत्रिक अधिकार है कि वह सदन के अंदर अपनी बात रखें. लेकिन सदस्य की भाषा मर्यादित होनी चाहिए. जो विधानसभा की गरिमा के अनुकूल हो. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र के अंदर सबसे बड़ी जो जज है वह जनता है. उन्होंने कहा कि जनता भी यह सब देख रही है और उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया भी दे रही है.
ये भी पढ़ें:Himachal Water Cess: पंजाब-हरियाणा सरकार को हिमाचल CM की दो टूक, पानी पर सेस लगाना राज्य का अधिकार, किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हुआ