चंडीगढ़: लॉकडाउन में हरियाणा में सबसे ज्यादा अगर किसी पर मार पड़ी तो वो हैं किसान. रबी की कटाई का सीजन और ऊपर से मजदूरों का प्रवास ने हरियाणा के किसानों को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करवाया. फिलहाल किसान मंडी में अपनी फसल पहुंचा चुका है. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा ने 'डिजिटल चैट' कार्यक्रम में प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल से सीधी बात की. उनसे सवाल किए कि मौजूदा परिस्थितियों में सरकार ने किसानों के हित में क्या कदम उठाए हैं.
'डिजिटल चैट' में ईटीवी भारत हरियाणा के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह ने जेपी दलाल से किसानों की पेमेंट, फसलों की खरीददारी और आर्थिक संकट से निपटने के लिए किसानों के लिए सरकार की रणनीति से जुड़े तमाम गंभीर सवाल किए. जिनका हरियाणा के कृषि मंत्री ने जवाब दिया.
सवाल- गेहूं की खेती नहीं करने की अपील करने पर आप विकल्प क्या दे रहे हैं?
कृषि मंत्री- सीएम मनोहर लाल ने कल अपील की है, मेरा पानी, मेरी विरासत नारे के साथ डार्क जोन के 8 क्षेत्रों में धान की वैकल्पिक फसलों को बोने की प्राथना की. सीएम ने किसानों पूरी तरह से धान नहीं बोने के लिए नहीं कहा है, सीएम ये अपील कर रहे हैं कि किसान 50% धान की फसल बोना कम कर दे. इसके लिए किसानों को जो नुकसान होगा उसके बदले सरकार किसान के खाते में 7 हजार रुपये डालेगी.
कृषि मंत्री ने अपील की आप कपाल, मक्का, बाजरा की फसलों के साथ-साथ बागवानी और फलों की खेती को अपना सकते हैं. ड्रिप विधि से सिंचाई के लिए हरियाणा में 85% तक सब्सिडी है. कृषि मंत्री ने कहा कि गन्ना बोने से भी धान की फसल का एक-तिहाई पानी उपयोग होता है.
हरियाणा सरकार को केंद्रीय सरकार की तरफ से 1200 करोड़ रुपये मिला है. हमने विभाग की तरफ से घोषणा की है कि डार्क जोन में इजराइल विधि से सिंचाई करने पर 85 प्रतिशत तक सब्सिडी देने का फैसला किया है. टपका विधि से 10-15 प्रतिशत पानी से उतनी ही फसल पैदा हो जाती है. हमारे किसान ये सोचते थे कि फ्लड सिंचाई से फसल ज्यादा होती है, लेकिन उससे घास उगती है. जबकी ड्रिप विधि से सिंचाई कर पौधे को पानी देने से पैदावार ज्यादा होती है.