चंडीगढ़: अंबाला एयरबेस पर बीती 29 जुलाई को आधुनिक फाइटर प्लेन राफेल की पहली खेप भी पहुंची थी. वहीं 10 सितंबर को यानी 43 दिन बाद फाइटर प्लेन राफेल को भारतीय वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया. लेकिन जब से राफेल को अंबाला एयरबेस पर तैनात किया गया है तभी से एक समस्या है जो वायु सेना के सामने बनी हुई है. वो समस्या है एयरबेस के आसपास उड़ने वाले पक्षियों की. ये पक्षी वायु सेना के फाइटर प्लेन जैसे जगुआर और राफेल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं.
दरअसल, हाल ही में एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को पत्र लिखा था. जिसमें अंबाला एयरबेस के एयर स्पेस में पंक्षियों की संख्या को कम करने को लेकर कुछ सुझाव दिए थे. वहीं एक्सपर्ट मानते हैं कि पंक्षियों की बढ़ती तादाद के चलते राफेल समेत अन्य फाइटर एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंच सकता है.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलो ने कहा कि राफेल समेत सभी फाइटर एयरक्राफ्ट को टेक ऑफ के दौरान नुकसान पहुंच सकता है. वहीं पक्षियों की तरफ से रनवे पर कूड़ा गिराए जाने से भी हादसा हो सकता है. उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि प्रशाशन का काम केवल सियासी नेताओं के पीछे भागना नहीं होता बल्कि देश की सुरक्षा से जुड़े इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की आवश्यकता है.
रिटायर ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह ने कहा कि एयरफील्ड के आसपास रूल एंड रेगुलेशन निर्धारित हैं. एयरफील्ड में केवल रफेल नहीं बहुत सारे फाइटर एयरक्राफ्ट हैं. इसके साथ इक्यूपमेंट, संचार के साधन, कम्युनिकेशन सेंटर भी है. उन्होंने कहा कि खासतौर पर एयरक्राफ्ट बहुत महंगे और जरूरी हैं. सभी चीजों को देखते हुए आसपास के किलोमीटर निर्धारित किए जाते हैं कि वहां पर नो फलाइंग जोन रहेगा और आसपास निर्माण नहीं होगा.
कुलदीप सिंह ने कहा कि पक्षियों की संख्या अचानक बढ़ने के पीछे पोल्ट्री वेस्ट और कूड़ा फेंका जाना है. उन्होंने कहा कि फाइटर एयरक्राफ्ट या कोई भी एयरक्राफ्ट के सामने अगर अचानक पक्षी आ जाए तो हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि अधिकतर खतरा लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान रहता है.