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'कोरोना से मरने वालों के नहीं निकाले जाते अंग, ये बात बिल्कुल असंभव'

कोरोना से मरने वाले लोगों के शव में से अंग निकालकर दूसरे के शरीर में डालना असंभव है. पहले बात तो ये है कि ऑर्गन शिफ्ट करना बच्चों का खेल नहीं है. दूसरी बात किसी भी इंफेक्शन वाले शव का ऑर्गन किसी दूसरे के शरीर में नहीं डाला जाता. ये बात चंडीगढ़ पीजीआई के किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के हेड डॉ. आशीष शर्मा ने कही.

chandigarh pgi on organs transplant of corona patients
chandigarh pgi on organs transplant of corona patients

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Published : Sep 5, 2020, 3:39 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना मरीजों के अंगों को निकालने की बातें बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रही हैं. ऐसी बातें हैं कि पहले कोरोना मरीजों को जानकर पौष्टिक खाना दिया जाता है और जब उनकी मौत हो जाती है तो अस्पताल में उनके शरीर के अंगों को निकालकर किसी अन्य मरीज के शरीर में डाल दिया जाता है. इस बात को लेकर पीजीआई किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के हेड डॉ. आशीष शर्मा ने स्थिति को स्पष्ट किया. उन्होंने बताया कि किसी मृतक शरीर से अंग निकालकर दूसरे के शरीर में डालना कोई बच्चों का खेल नहीं है.

'कोरोना से मरने वालों के नहीं निकाले जाते अंग, ये बात बिल्कुल असंभव'

डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि जब भी किसी मरीज के अंग निकालकर दूसरे शरीर में दाखिल किए जाते हैं तो उसका एक लंबी प्रक्रिया होती है. जो काफी मुश्किल होती है. उन्होंने कहा कि इतना आसान नहीं कि किसी मरीज को लाया जाए और उसके अंग निकालकर दूसरे के शरीर में डाल दिए जाएं.

'इंफेक्टेड बॉडी से नहीं लिया जाता कोई अंग'

सबसे पहले उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई कोरोना मरीज है तो उसके अंग किसी दूसरे शरीर में काम नहीं आ सकते, क्योंकि जब कोई शरीर का अंग निकालकर दूसरे शरीर में डाले जाते हैं तो जिस व्यक्ति के अंग निकाले जाते हैं उसके शरीर में किसी भी तरह का इन्फेक्शन ना हो ये सबसे पहले जांचा जाता है और अगर किसी भी तरह का ऐसा इंफेक्शन हो तो उसके अंग नहीं लिए जाते.

'इस प्रक्रिया में किए जाने वाले टेस्ट हर जगह संभव नहीं'

पीजीआई के डॉक्टर ने ये भी बताया कि ऑर्गन शिफ्ट करने से पहले तमाम टेस्ट किए जाते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि इसके लिए देश में हर जगह लेबोरेटरी भी नहीं है. उन्होंने बताया कि देश में कुछ ही लेबोरेटरी ऐसी हैं, जहां से टेस्ट होते हैं. उन्होंने कहा कि अगर बात पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली की करें तो सिर्फ दिल्ली और चंडीगढ़ पीजीआई में ही ऐसी लैब स्थापित हैं, जहां ये टेस्ट किए जाते हैं.

'ऑर्गन शिफ्ट करना एक मुश्किल प्रक्रिया है'

डॉक्टर ने ये भी स्पष्ट किया कि जब अंग किसी के शरीर से अंग निकाले जाते हैं तो उनको ऐसा नहीं कि कई दिन तक स्टोर करके रखा जाए, बल्कि 3 घंटे एक आंग को निकालने में लगते हैं तो उसके तुरंत बाद ही दूसरे शरीर में अंग को दाखिल करने के लिए भी प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि इसके लिए हाई क्वालीफाई सर्जन की जरूरत पड़ती है. वहीं एक पूरी टीम इस प्रक्रिया को करती है जो कि हर किसी अस्पताल में किसी भी कीमत पर संभव नहीं है.

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