चंडीगढ़ः कृषि अध्यादेश के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये आंदोलन सिर्फ किसान का ही नहीं, इसमें मजदूर, आढ़ती और छोटे व्यापारी भी शामिल हैं. सब का मानना है कि बिना एमएसपी के ये अध्यादेश किसान हित में नहीं हैं. अगर सरकार इन्हें लागू करना चाहती है तो सबसे पहले इसमें एमएसपी पर खरीद का प्रावधान शामिल करना चाहिए.
एमएसपी बढ़ाने की मांग
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी को अपना वादा पूरा करते हुए किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट सी2 फार्मूला के तहत एमएसपी देनी चाहिए. जब तक किसान की पूरी लागत को ध्यान में रखते हुए एमएसपी तय नहीं होती, तब तक किसानों की आय नहीं बढ़ सकती. हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान अलग-अलग फसलों के एमएसपी में रिकॉर्ड 2 से 3 गुना की बढ़ोतरी हुई थी.
एमएसपी व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश
नेता प्रतिपक्ष हुड्डा ने कहा कि 3 कृषि अध्यादेशों को लेकर किसानों का सीधा आरोप है कि बिना एमएसपी और किसी तरह के सरकारी नियंत्रण वाले इन अध्यादेश के जरिए मंडी और एमएसपी व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. बार-बार विरोध करने के बावजूद सरकार इन अध्यादेशों को तानाशाही तरीके से थोपना चाहती है, इसलिए किसान को मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है, लेकिन सरकार कोरोना का डर दिखाकर उसकी आवाज़ को दबाना चाहती है.
संसद और विधानसभा में चर्चा क्यों नहीं?
हुड्डा ने सवाल उठाया कि अगर सरकार को कोरोना या किसान की इतनी ही चिंता है तो इन 3 अध्यादेशों को लागू करने के लिए कोरोना काल को ही क्यों चुना गया? क्यों नहीं स्थिति के सामान्य होने का इंतजार किया गया? क्यों नहीं इन बिलों को लागू करने से पहले संसद और विधानसभा में चर्चा करवाई गई? पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार शुरुआत से ही एमएसपी विरोधी रही है. क्योंकि इन बिलों से पहले भी मौजूदा सरकार किसानों को एमएसपी देने में नाकाम थी.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज ना किसान को एमएसपी मिल रहा है, ना वक्त पर पेमेंट और ना ही फसल बीमा योजना का मुआवजा. पहले से बदहाल किसान को सरकार 3 अध्यादेशों के जरिए पूरी तरह पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है.
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