भिवानी: मिनी क्यूबा के नाम से मशहूर भिवानी अभी तक को मुक्केबाजी के लिए जाना जाता था. आने वाले दिनों में ये अब शूटिंग के लिए भी जाना जाएगा. ये संभव हुआ है रिटायर्ड फौजी की बदौलत, जो खुद फौज में अच्छा निशानेबाज रहे हैं. रिटायर्ड फौजी प्रदीप बेनिवाल फौज में रहते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल देश की झोली में डाल चुके हैं. फौज से रिटायर्ड होने के बाद प्रदीप ने भिवानी में शूटिंग एकेडमी शुरू की है.
अभी इस एकेडमी को शुरू हुए तीन ही साल हुए हैं. इन तीन सालों में ही कई बच्चे निशानेबाजी में मेडल ला चुके हैं. इसके अलावा दो बच्चे फौज में जा चुके हैं. तीन बच्चों का 15-15 लाख रुपये की छात्रवृति पर मध्य प्रदेश के डेली कॉलेज ऑफ इंदौर में चयन हुआ है. रिटायर्ड फौजी और कोच प्रदीप बेनिवाल ने बताया कि वो फौज में जब राइफल चलाने लगे, तो उनका निशाना बहुत अच्छा लगता था, फिर फौज ने सहयोग किया.
रिटायर्ड फौजी ऐसे बदल रहा युवाओं का भविष्य जिसके बाद उन्होंने निशानेबाज बनकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते. जब वो रिटायर्ड हुए तो उन्होंने भिवानी के बच्चों के लिए शूटिंग एकेडमी खोलने का फैसला किया, ताकि यहां के बच्चे भी शूटिंग में अपना भविष्य उज्जवल कर सके. उन्होंने बताया कि पांच साल पहले उन्होंने इस एकेडमी को शुरू किया था. इसमें दो साल कोरोना में चले गए. बचे तीन सालों की ट्रेनिंग में बच्चे कई मेडल लेकर आए है.
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उन्होंने बताया कि दो बच्चों का चयन फौज में और अब तीन बच्चों का चयन 15-15 लाख रुपये की छात्रवृति पर डेली कॉलेज ऑफ इंदौर स्कूल में हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर कोई भी बच्चा 11 या 12 साल की उम्र में शूटिंग शुरू करता है, उसका भविष्य बहुत अच्छा है. अभिभावक एडवोकेट रामनारायण पंघाल ने बताया कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके बेटा व बेटी दोनों का एक साथ शूटिंग के आधार पर देश के इतने बड़े स्कूल में एडमिशन लेंगे. उन्होंने कहा कि दो साल के ट्रेनिंग के बाद शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी रैंकिंग इसके लिए माध्यम बना है.