करनाल:आपने भी काफी बार सुना होगा कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो वो पानी को लेकर लड़ा जाएगा. ये बात डर से ज्यादा पानी के महत्व और उसके सीमित होने के संदर्भ में कही जाती है. अपनी दिनचर्या के छोटे-छोटे कामों की तरफ नजर डालें तो आपको भी एहसास होगा कि हम पानी का कितना दुरूपयोग कर रहे (WATER WASTE IN KARNAL DUE TO RO SYSTEM) हैं. याद रहे कि दुनिया की एक बड़ी आबादी को पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना कई इलाकों में बहुत आम है. वहीं अगर बात हरियाणा के जिला करनाल की कि जाए तो यहां हर दूसरे घर को छोड़कर सभी ने अपने घरों में आरओ सिस्टम लगाए हैं. जिससे कहीं न कहीं 70% पानी रोजाना बर्बाद हो रहा (70 PERCENT WATER WASTE IN KARNAL) है.
करनाल में पानी की गुणवत्ता सबसे बेहतर:बता दें, पानी का भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. वहीं आज सभी अपने घरों में देखा देखी में आरओ सिस्टम लगवा रहे हैं. फिर चाहे नल से आने वाले पानी की गुणवत्ता बिलकुल सही क्यों न हो. टेस्टिंग लैब हरियाणा के हेड साइंटिस्ट अमित कुमार के मुताबिक पानी की गुणवत्ता बिलकुल अच्छी है. उन्होंने कहा कि लोगों के घरों ने सप्लाई होने वाला पानी बिलकुल स्वच्छ (GOOD WATER QUALITY OF KARNAL) है, लेकिन फिर भी आज के समय में सभी के घरों में आरओ सिस्टम लगाने का फैशन सा बन गया है. उन्होंने कहा कि आरओ सिस्टम के कारण काफी पानी बर्बाद होता है.
करनाल में नहीं RO लगाने की जरूरत, नल से आने वाले पानी की गुणवत्ता है इससे बेहतर आरओ सिस्टम से होता है 70% तक पानी बर्बाद:अमित कुमार ने कहा कि करनाल में लोगों के घरों में सप्लाई होने वाले पानी को फिल्टर करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन फिर भी आज हर घर, हर दुकान, हर फैक्ट्री और कंपनियों में आरओ सिस्टम लगाए जा रहे हैं जिससे लगभग 70% तक पानी बर्बादी हो रहा है. उन्होंने कहा कि करनाल के पानी का टीडीएस 500 के आसपास है जहां पर आरओ सिस्टम लगाने की जरूरत नहीं (TDS 500 OF KARNAL WATER) होती. उन्होंने कहा कि अगर लंबे समय के बाद आरो के पानी को पीया जाए तो उसमें मिनरल नष्ट हो जाते हैं. जिसका हमारी बॉडी पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
हेड साइंटिस्ट अमित कुमार ने लोगों से कि ये अपील: पानी की गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए टेस्टिंग लैब हरियाणा के हेड साइंटिस्ट अमित कुमार ने करनाल की जनता से अपील करते हुए कहा है कि वह अपने आरओ सिस्टम का प्रयोग न करें क्योंकि जिले में स्वच्छ पानी की सप्लाई की जाती है. जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल स्वस्थ है. उन्होंने कहा कि लगातार गिरते भूमिगत जल स्तर पर एनजीटी ने भी संज्ञान लिया है और कहा है कि जहां पीने के पानी का टीडीएस 500 से नीचे है वहां पर आरओ सिस्टम ना लगाया जाए यह एक योजना बनाई जा रही है ताकि पानी को बचाया जा सके.
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