चंडीगढ़: पंजाब से अलग होकर एक अलग राज्य बने हरियाणा को 53 साल हो चुके हैं. हरियाणा का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था. हरियाणा के गठन के बाद यहां के युवाओं ने विश्व पटल पर अपनी प्रतिभाओं का लोहा मनवाया है
कभी रेतीले और कीकर जंगलों से होती थी हरियाणा की पहचान
हरियाणा राज्य की पहचान कभी रेतीले और कीकर के जंगलों से होती थी. लेकिन लगातार विकास के मार्ग पर चलकर इस राज्य ने उन तमाम उपलब्धियों को हासिल किया है. जिसे बाकी राज्य हासिल करने की उम्मीद पाले बैठे हैं. हरियाणा राजनीति, शिक्षा, खेल, और अमीरी सबमें बाकी राज्यों के मुकाबले आगे ही रहा.
हरियाणा की राजनीति बेहद खास
90 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य की राजनीति भी बेहद खास है. आया राम, गया राम के रुप में दलबदल की राजनीति के लिए यह राज्य पूरे देश में पहचाना गया. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा से लेकर मौजूदा सीएम मनोहर लाल खट्टर तक की सियासत सत्ताधारी लोग अपने हिसाब से चलाते रहे हैं.
हरियाणा को अलग राज्य बनाने के लिए करना पड़ा संघर्ष
सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिनमें हरियाणा क्षेत्र से चौ. देवीलाल समेत कांग्रेस के 38 विधायक चुने गए. अलग राज्य बनवाने के लिए चौ. देवीलाल एवं चौ. चरण सिंह ने उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा क्षेत्र से 125 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री जीबी पंत को दिल्ली में दिया. 1953 में चौ. देवीलाल ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने अलग हरियाणा राज्य बनाने की मांग रखी.
1955 में अकाली नेताओं ने धर्म के आधार पर पंजाब को बांटने की मांग रखी. उधर पंजाबी प्रांत की मांग को लेकर संत फतेहसिंह ने 16 अगस्त 1965 को आमरण अनशन की घोषणा करते हुए कहा कि - यदि सरकार ने पंजाबी सूबा नहीं बनने दिया तो वह आत्मदाह कर लेगें. केन्द्र सरकार ने पार्लियामेंटरी कमेटी की सिफारिशों को सिद्धांतिक आधार पर स्वीकार कर लिया तथा 23 अप्रैल 1966 को तीनों राज्यों के अलग-अलग गठन के लिए पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया.
भारत के सबसे ज्यादा करोड़पति हरियाणा से
44212 किलोमीटर के क्षेत्रफल वाला हरियाणा न सिर्फ राजनीति के लिए जाना जाता है बल्कि अपनी समृद्धि के लिए भी जाना जाता है. 1970 में जब देश के तमाम हिस्सों में बिजली एक कल्पना हुआ करती थी तब सूबे के हर गांव में बिजली पहुंच गई थी. हरियाणा देश के अमीर राज्यों में है, प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है. खास बात ये है कि भारत के सबसे ज्यादा करोड़पति इसी राज्य के हैं.