World Lymphoma Awareness Day : कैंसर एक जटिल रोग है इस बारे में सभी जानते हैं. ज्यादातर लोग यह भी जानते हैं कि कैंसर कई प्रकार का हो सकता है तथा शरीर के ज्यादातर अंगों में कैंसर कोशिकाएं विकसित हो सकती हैं. लेकिन आमतौर पर ज्यादातर लोग कैंसर के प्रकारों या उनके लक्षणों के बारे में नहीं जानते हैं, जिसका नतीजा रोग की पहचान में और फिर उसके इलाज में देरी के रूप में नजर आता हैं. लिम्फोमा कैंसर भी कैंसर का एक ऐसा ही प्रकार है जिसके आम लक्षणों या अन्य संबंधित जानकारी के बारे में ज्यादा लोगों में ज्यादा जागरूकता नहीं है.
क्या है लिम्फोमा :लिम्फोमा या लसीका प्रणाली के इस कैंसर को कई बार रक्त कैंसर का एक प्रकार भी माना जाता है क्योंकि यह लिम्फोसाइट्स यानी सफेद रक्त कोशिकाओं से जुड़ा होता है. लेकिन यह ल्यूकेमिया से बिल्कुल अलग होता है क्योंकि ये दोनों प्रकार के कैंसर अलग अलग प्रकार की कोशिकाओं में शुरू होते हैं. इसे लिम्फ नोड्स का कैंसर भी कहा जाता है. लिम्फोमा दरअसल इम्यून सिस्टम में संक्रमण से लड़ने वाली लिम्फोसाइट्स कोशिकाओं (सफेद रक्त कोशिकाओं )में होता है. लिम्फोसाइट्स कोशिकाएं लिम्फ नोड्स , प्लीहा, थाइमस और बोन मैरो सहित शरीर के कई हिस्सों में पाई जाती हैं. लिम्फोमा में ये लिम्फोसाइट्स तेजी से तथा अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं.
विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस थीम 2023
लिम्फोमा एक पुरी तरह से ठीक हो सकने वाला कैंसर है. बशर्ते सही समय पर इसकी जांच व इलाज हो . जरूरी इलाज व थेरेपी के बाद यह कैंसर ठीक हो सकता है. सामान्य तौर पर लिंफोमा के 2 प्रकार के माने जाते हैं. हॉजकिन लिम्फोमा तथा गैर-हॉजकिन लिंफोमा. लिंफोमा के कई उप प्रकार भी माने जाते हैं. विभिन्न स्वास्थ्य सूचना तंत्रों पर उपलब्ध जानकारी की माने तो वर्तमान समय में दुनिया भर में लगभग 10 लाख लोग लिंफोमा से पीड़ित हैं और हर दिन लगभग 1000 लोगों में लिंफोमा का निदान किया जाता है. लिम्फोमा या लसीका प्रणाली के कैंसर को लेकर आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 15 सितंबर को वैश्विक स्तर पर “विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस” मनाया जाता है. इस वर्ष यह विशेष आयोजन "हम अपनी भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इंतजार नहीं कर सकते हैं " थीम पर मनाया जा रहा है.
वहीं, भारत से जुड़े आंकड़ों की बात करें तो उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2020 में, लगभग 11,300 रोगियों में हॉजकिन लिंफोमा और 41,000 रोगियों में गैर-हॉजकिन लिंफोमा का निदान किया गया था. जानकारों की मानें तो भारत में गैर-हॉजकिन लिंफोमा के मामले ज्यादा देखने में आते हैं. वहीं इनकी दर की बात करें तो पुरुषों यह दर अनुमानित तौर पर 2.9/100,000 और महिलाओं में 1.5/100,000 मानी जाती हैं.