नई दिल्ली:ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल में प्रोफेसरों और शिक्षण संकाय के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण को लेकर श्रम और रोजगार मंत्रालय के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है. ईएसआईसी के हॉस्पिटल सहित अन्य ऑफिस पर कर्मचारियों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया.
ऑल इंडिया ईएसआईसी फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल नीरज कुमार ने बताया कि अभी ईएसआईसी प्रबंधन ने ट्रांसफर को लेकर एक पॉलिसी बनाई है. इसके तहत 70 फीसदी से अधिक लोग ट्रांसफर की जद में हैं. जबकि, सीवीसी का इंस्ट्रक्शन है कि 3 साल 5 साल में ट्रांसफर होना चाहिए. ट्रांसफर की नई पॉलिसी के तहत यहां के स्टाफ को कम से कम 500 किलोमीटर दूर ट्रांसफर किया जाएगा. इन लोगों का कहना है कि घर के आसपास ट्रांसफर कर दिया दिया जाए, ताकि उन्हें भी परेशानी न हो.
उन्होंने बताया कि हैरानी की बात है कि इस ट्रांसफर पॉलिसी को लागू करने में डेढ़ सौ करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. इतना पैसा जो सिर्फ ट्रांसफर पर खर्च किया जा रहा है उसे किसी अच्छी योजना के लिए खर्च किया जाता तो बेहतर होता. इस पॉलिसी की वजह से सब जगह असर पड़ रहा है. इसलिए हर जगह प्रदर्शन हो रहा है. नीरज का कहना है कि इससे पहले ट्रांसफर पॉलिसी 2021 में बना था. फिर इन लोगों ने 2022 में दूसरी पॉलिसी बना ली. ट्रांसफर पॉलिसी बनाने के लिए ट्रेड यूनियन और दूसरे लोगों से भी सलाह करना चाहिए था, लेकिन बिना उनसे बातचीत के ही पॉलिसी बना ली. जिससे हर कोई परेशान है.
उन्होंने बताया कि हम लोग भी इस पक्ष में है कि जहां जरूरत है वहां ट्रांसफर-पोस्टिंग किया जाए, लेकिन यह पॉलिसी लोगों को दंड देने के लिए बनाई गई है. अगर किसी का ट्रांसफर तमिलनाडु से दिल्ली होता है तो वह यहां परेशान होगा, और यहां के लोगों के लिए भी परेशानी होगी. दिल्ली वाला कर्मचारी अगर केरल ट्रांसफर पर जाता है तो वहां काम क्या करेगा. यह सिर्फ हरासमेंट के लिए ट्रांसफर पोस्टिंग पॉलिसी बनाई गई है जो पूरी तरह से गलत है. हम लोग विभाग को मेमोरेंडम दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए हम लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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