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वैष्णव पद्धति अपनाने से होगा कोरोना दूर, भारतीय वैज्ञानिकों का है मानना

दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर जहां वैज्ञानिक वैक्सीन की खोज में जुटे हुए हैं. वहीं अगर भारतीय वैज्ञानिकों की माने तो उनका मानना है कि पारंपरिक प्रथाओं से कोरोना को कई हद तक रोका जा सकता है. उन्होंने लोगों से वैष्णव पद्धति को अपनाने की गुजारिश की है.

scientists appeal people to follow vaishnava system to prevent corona
भारतीयों वैज्ञानिकों ने माना वैष्णव पद्धति को कोरोना बचाव का उपाय

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Published : Jun 16, 2020, 5:22 PM IST

नई दिल्ली:कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनिया भर में जहां दवा और वैक्सीन की खोज चल रही है. वहीं भारतीय वैज्ञानिक इससे बचने के लिए पारंपरिक प्रथाओं (पद्धति) के जरिए करोड़ों जिंदगियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

भारतीयों वैज्ञानिकों ने माना वैष्णव पद्धति को कोरोना बचाव का उपाय

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए एक जन जागरूकता अभियान की जरूरत है, जिसके लिए पारंपरिक प्रथाओं का सहयोग लिया जा सकता है. खास बात ये है कि वैज्ञानिकों ने अपने सिफारिश को वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित करने के लिए एक अध्ययन भी किया है जिसे इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित किया गया है.



नियमों का पालन नहीं कर रहे लोग

देश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बाद भी बड़ी संख्या में लोग बचाव के नियमों को लेकर लापरवाह हैं और उसका ठीक तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं. इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पूर्व महामारी रोग निदेशक डॉ. राजेश भाटिया का कहना है कि पारंपरिक पद्धतियों का जनमानस पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है. इसे आधुनिक विज्ञान से मिलकर करोड़ों लोगों की दिनचर्या से जोड़ने में सफलता मिल सकती है. इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज के एनॉटमी विशेषज्ञ डॉ. विश्वजीत सैकिया का कहना है कि जिला या स्थानीय स्तर पर कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता लाने के लिए पारंपरिक प्रथाओं और अध्यात्म की सहायता ली जा सकती है. धर्म गुरुओं के अलावा समाज के अन्य शीर्ष लोगों को भी जागरूकता अभियान से जोड़कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक संदेश पहुंचाया जा सकता हैं.



वैष्णव संप्रदाय पर किया सर्वे

गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के फॉरेसिंक विशेषज्ञ डॉ. रक्तिम प्रतिमा तामुल ने बताया कि कोरोना महामारी में पारंपरिक प्रथाओं का प्रभाव जानने के लिए वैष्णव संप्रदाय से जुड़े लोगों पर एक सर्वे किया गया. गुवाहटी के करीब 100 वैष्णव अनुयायियों से वैज्ञानिकों ने कुछ सवाल किए. इनमें से 65 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया है कि वे खाना पकाने से पहले स्नान करते हैं. जबकि 50 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया है कि वे घर के मुख्य परिसर में प्रवेश से पहले भी स्नान करते हैं. बार-बार हाथ धोने की आदत इन लोगों में पहले से ही हैं.

सभी लोगों ने स्वीकार किया कि वे शौचालय जाने या रसोई घर में प्रवेश करने से पहले हाथ अच्छे से साफ करते हैं. 65 फीसदी लोगों ने माना किया है कि वह स्नान के बाद साफ कपड़ें पहनकर ही खाना पकाते हैं. जब वे खाना परोसते हैं तो वे अपने मुंह और नाक को स्कॉर्फ या गमछा से कवर करते हैं. ये लोग वर्षों से ऐसा ही करते आ रहे हैं. इस आधार पर इनकी सिफारिश है कि अगर इस प्रथा का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सकता है.

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