नई दिल्ली: मुंडका विधानसभा क्षेत्र में रियलिटी चेक के दौरान जो मुद्दे ईटीवी भारत की टीम के सामने आई वो बेहद हैरान कर देने वाली थी. जहां एक तरफ इलाके के विधायक ने दावा किया है कि उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए 1000 करोड़ जैसी मोटी रकम खर्च की है. वहीं जब क्षेत्र के अंदर ईटीवी भारत की टीम निकली तो इसके उलट कुछ तस्वीरें देखने को मिली.
70 दिन 70 मुद्दे प्रोग्राम के तहत मुंडका पहुंची ईटीवी भारत की टीम ईटीवी भारत का रियलटी चेक
देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव की शुरुआत होने में बस कुछ ही महीने का समय बचा है. इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने मुंडका विधानसभा क्षेत्र पहुंची. बता दें मुंडका विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर मतदाता जाट है. इसलिए इस विधानसभा क्षेत्र को जाटलैंड के नाम से भी जाना जाता है. इस क्षेत्र में ज्यादातर जाट नेताओं का ही अभी तक बोलबाला रहा है.
जगह-जगह कूड़ों से भरे हैं नालें
स्थानीय लोगों के मुताबिक जगह-जगह नाले खुले हुए हैं. साथ ही साथ नालों की मेंटेनेंस तो छोड़िए सफाई भी काफी लंबे समय से नहीं हुई है. उदाहरण के लिए मुंडका मेट्रो स्टेशन से नीचे उतरते ही चारों ओर आपको गंदगी से भरी नालियां आपको दिख जाएंगी. ये नाले कूड़े से भरे हुए हैं.
गांव के लोगों ने बताई अपनी समस्याएं
ईटीवी भारत की टीम ने मुंडका विधानसभा क्षेत्र के अंदर आने वाले लाडपुर गांव के लोगों से भी बातचीत की. क्योंकि लाडपुर गांव में मुंडका विधानसभा क्षेत्र के 5000 से ज्यादा वोटर हैं. जिसकी वजह से उनकी राय काफी मायने रखती है.
'साढ़े 4 साल में नहीं दिखाई दिए विधायक'
यहां के लोगों ने बताया कि उन्होंने पिछले साढे 4 सालों से क्षेत्र के विधायक सुखबीर सिंह दलाल की शक्ल तक नहीं देखी है. आते भी हैं तो बहुत कम समय के लिए और बिना किसी से मिले चले जाते हैं. साथ ही साथ इलाके में पीने के पानी की कमी बड़े स्तर पर है जिसकी वजह से स्थानीय लोग बहुत ज्यादा परेशान है.
दयनीय हालात में है तालाब
मुंडका विधानसभा क्षेत्र की एक विशेष बात है कि इस पूरे क्षेत्र के अंदर 10 से 12 तालाब हैं. यानी कि पीने के पानी की क्षेत्र में एक समय कोई कमी नहीं थी. लेकिन आज दिल्ली सरकार की ओर से इन सभी तालाबों की अनदेखी की जा रही है और ये तालाब अपनी दयनीय स्थिति में पहुंच चुके हैं.
'पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे लोग'
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब मुंडका विधानसभा क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है. चाहे वो मुंडका गांव का तकिया तालाब हो या फिर रानी खेड़ा गांव के तालाब. सभी तालाबों की बड़े स्तर पर दिल्ली सरकार और मुंडका के विधायक की ओर से अनदेखी की गई है. जिसकी वजह से अब ये तालाब अपनी दयनीय स्थिति में पहुंच चुके हैं और मुंडका गांव का एक तालाब तो खत्म होने की कगार पर है.