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किसान आंदोलन: जमीयत उलेमा हिंद और आप नेताओं ने केंद्र पर साधा निशाना

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Published : Nov 28, 2020, 5:47 PM IST

जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना दाउद अमीनी और आप नेताओं ने किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. मौलाना दाउद अमीनी ने कहा कि किसान बिल के विरोध में पिछले कई दिनों से चल रहे आंदोलन को सुरक्षा बलों के द्वारा कुचलने की कोशिश ठीक नहीं है.

Many leaders came in favor of farmer movement
किसान आंदोलन के पक्ष में उतरे कई नेता

नई दिल्ली:किसान बिल के विरोध में चल रहे आंदोलन को लेकर जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना दाउद अमीनी, आप नेता हाजी शफीक और फहीम खान ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया.

किसान आंदोलन के पक्ष में उतरे कई नेता

जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना दाउद अमीनी ने किसानों के आंदोलन को बल पूर्वक कुचले जाने को पूरी तरह से गलत ठहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ ऐसा रवैया नहीं अपनाना चाहिए. आज किसान ही हैं, जिसकी बदौलत सरकार चल रही है, लेकिन सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है.

मौलाना ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसानों पर बल का इस्तमाल करना, ठंड में पानी की बौछार करना सही नहीं है. सरकार को चाहिए कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करके किसानों की समस्या का समाधान निकालना चाहिए.

'केंद्र सरकार का बर्ताव गलत'

आम आदमी पार्टी के नेता हाजी शफीक ने कहा कि अन्नदाता के साथ सरकार ऐसा बर्ताव बताता है कि केंद्र सरकार किसानों के बारे में कितना सोचती है. सरकार को समझना चाहिए कि वह आखिर अन्नदाता के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकती है, अगर देश का अन्नदाता बैठ गया तो कैसे चलेगी सरकार और कैसे जीवन गुजरेगी देश की आम जनता. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस ढंग से किसानों का समर्थन करते हुए पूरी तरह से उनके साथ खड़े होने का ऐलान किया है वह काबिले तारीफ है, मुख्यमंत्री को पता है कि देश के अन्नदाता को नाराज़ करने का किया परिणाम हो सकता है.

'केंद्र सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी'

आप नेता फहीम खान ने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतर चुकी है तभी शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों को बर्बरता से पीटा गया और पानी की बौछार डालकर उनके आंदोलन को कुचलने की नाकाम कोशिश की गई. केंद्र सरकार को समझ लेना चाहिए कि अगर उन्हें देश के किसानों का समर्थन नहीं मिला होता तो आज वह भी सत्ता पर काबिज नहीं होती.

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