नई दिल्ली:महामारी कोरोना काल में लंबे समय तक चले लॉकडाउन के बाद आज हालात समान्य नहीं हो पा रहे हैं. इसी से जुड़ी एक घटना सामने आई है. एक लाचार और बेबस पिता ने पिछले तीन महीनों से सैलरी नहीं मिलने से तंग आकर अपने जुड़वा दुधमुंहे बच्चों को तपती धूप में डीसी दफ्तर के बाहर छोड़ दिया.
बच्चों को डीसी ऑफिस के बाहर छोड़ा जैसे ही राहगीर की नजर सड़क पर पड़े बच्चों पर गई, वैसे ही पुलिस को खबर की गई. मासूम बच्चों के मिलने से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया. पुलिस अधिकारियों की निगरानी में बच्चों के परिजनों को खोजने का सिलसिला शुरू हो गया है.
पुलिस ने बच्चों को निगरानी में लिया
जानकारी के मुताबिक मामला सिविल लाइंस थाना क्षेत्र स्थित श्याम नाथ मार्ग का है. पुलिस को किसी अंजान शख्स ने रोड पर गाड़ियों के बीच मौजूद दुधमुंहे जुड़वां बच्चों की सूचना दी. सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई. मौके पहुंचने पर पुलिस ने दो दुधमुंहे बच्चों को लावारिस हालात में पाया. जिन्हें तत्काल ही वहां से सुरक्षित निगरानी में ले लिया गया.
3 महीने से सैलरी ना मिलने से परेशान था बच्चों का पिता
बताया जाता है कि काफी खोजबीन के बाद इन जुड़वां बच्चों के पिता की पहचान नरेश के रूप में हुई. पुलिस के मुताबिक गोकुल पुरी इलाके में रहने वाला नरेश यहां गंगा विहार स्थित को-ऑपरेटिव सोसायटी में क्लर्क का काम करता है. शुरुआती पूछताछ और जांच में ये बात सामने आई कि नरेश को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली थी. जिसके लिए वो कई बार अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगा चुका था.
बताया गया कि नरेश अपनी सैलरी के सिलसिले में बात करने के लिए श्यामनाथ मार्ग पर स्थित डीसी दफ्तर आया था, लेकिन जब सैलरी की कोई बात नहीं बनीं, तो वो पूरी तरह से टूट गया और अपने इन दोनों दुधमुंहे जुड़वा बच्चों को वहीं दफ्तर के बाहर छोड़कर चला गया.
पुलिस के मुताबिक पीड़ित नरेश बिना सैलरी के इन बच्चों को पालने में पूरी तरह से असमर्थ साबित हो रहा था, जिसकी वजह से वो इन्हें यहां छोड़कर चला गया. नरेश का मोबाइल फोन बंद होने की वजह से पुलिस उससे संपर्क नहीं कर पा रही है. पुलिस की एक टीम जिसमें महिला पुलिस कर्मी भी शामिल हैं. इन बच्चों को साथ लेकर नरेश की तलाश में गोकुलपुरी गई है, ताकि जल्द से जल्द इन बच्चों को उनके परिजनों के हवाले किया जा सके.
मासूम बच्चों का विडियो वायरल होने के बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया है. देखना होगा कब तक पीड़ित नरेश को उसकी सैलरी मिल पाती है. वो अपने इन मासूम नौनिहालों को अपने साथ रखकर पालता है.