नई दिल्ली:दिल्ली के मंडी हाउस स्थित भारत सरकार की स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में आसिफ अली द्वारा लिखित 'भीम गाथा' का नाट्य प्रस्तुति किया गया. यह प्रस्तुतिकरण राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्रों ने किया. नाटक को भारतीय शास्त्रीय शैली में प्रो. विदुषी ऋता गांगुली ने निर्देशित किया. उन्होंने बताया कि भीम के चरित्र से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को इस नाटक में पहली बार दर्शकों को देखने को मिलेंगे'. एनएसडी के छात्रों को रंगमंच के विभिन्न रूपों से प्रशिक्षित किया जाता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण भारतीय शास्त्रीय नाट्य परंपरा का ज्ञान भी है. नाट्य शास्त्र के इसी प्रशिक्षण का नतीजा 'भीम गाथा' की यह प्रस्तुति है.
नाटक की यह प्रस्तुति छात्रों के व्यवहारिक प्रशिक्षण का हिस्सा है. नाटक के निर्देशन के साथ ही इसका संगीत और नृत्य भी प्रो. गांगुली ने ही तैयार किया है. प्रो. गांगुली रंगमंच के साथ ही संगीत और नृत्य की भी प्रख्यात हस्ताक्षर हैं. साठ के दशक में उन्होंने अमेरिका से अपने रंगमंच का सफर शुरू किया था. प्रो. गांगुली 1968 में ही एनएसडी में अध्यापन से जुड़ चुकी थीं. जबकि, नाटककार आसिफ़ अली एनएसडी ग्रेजुएट हैं, उन्होंने अभिनय में विशेषज्ञता हासिल की है. वर्तमान में वे एनएसडी में मॉर्डन इंडियन ड्रामा के अध्यापन से जुड़े हैं.
प्रो. गांगुली ने बताया कि यह नाटक महाकाव्य, महाभारत के एक प्रमुख चरित्र भीम पर केंद्रित हैं. भीम के चरित्र को उतना महत्व नहीं मिला, जितना अर्जुन को. इस नाटक में भीम के चरित्र से जुड़े कुछ ऐसे पहलुओं को दिखाया गया है, जो आम धारणा के विपरीत है. उन्होंने कहा कि असल में भीम का चरित्र बेहद सुंदर है, उनके चरित्र की अपनी विशेषताएं हैं. वे गुस्से वाले जरूर है, लेकिन विवेकहीन हैं, यह कहना पूरा सच नहीं. वे भी सहृदयी और संवेदनशील हैं. इस नाटक की शुरुआत भगवन शिव को दर्शाते हुए एक नृत्य के साथ की गई. साथ इसमें हिडिंबा और भीम के प्रेम प्रसंगों का भी बाखूबी प्रस्तुतिकरण किया गया. वहीं, नाटक में यह भी दिखाया गया कि भीम अपने पांडव भाइयों के साथ माता कुंती की रक्षा करते हैं. अकेले ही सैकड़ों कौरवों का वध करते हैं, द्रौपदी को दिये वचनों को निभाते हैं.