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निगम के अधिकारियों तक नहीं पहुंचती टेंडर और फैसलों की जानकारी

नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में इन दिनों अधिकारियों की मनमर्जी से निगम के नेता खासे परेशान हैं. आरोप है कि अधिकारी अपनी मर्जी से ही टेंडर और फैसले ले लेते हैं, जबकि 3 करोड़ के ऊपर के सभी मामलों को स्थाई समिति में लाना अनिवार्य होता है. अधिकारियों को इस विषय में सख्त हिदायत दी गई है.

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Published : Feb 6, 2019, 11:37 PM IST

निगम के अधिकारियों तक नहीं पहुंचती टेंडर और फैसलों की जानकारी

मंगलवार को स्थाई समिति बैठक में अध्यक्षा शिखा राय समेत सभी सदस्यों ने इस बात पर आपत्ति जताई कि फैसले ले लेने के बाद ही नेताओं को इनके विषय में बताया जाता है. राय के मुताबिक, अधिकारियों को ये बात समझनी चाहिए कि जनता अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए ही पार्षदों को चुनकर भेजती है. ऐसे में अगर फैसले लेने से पहले स्थाई समिति में नहीं लाए जाएंगे तो ये जनमत का भी अपमान होगा.

निगम के अधिकारियों तक नहीं पहुंचती टेंडर और फैसलों की जानकारी
दरअसल यहां स्वच्छ भारत फंड के तहत खरीदी जाने वाली मशीनरियों पर चर्चा हो रही थी. अधिकारियों से पूछा गया कि निगम हर बार बड़ी-बड़ी मशीनरी खरीद लेती है जबकि छोटी गलियों और नालियों की सफाई के लिए कोई ऑटोमैटिक तरीका नहीं है.

'खुद ही अधिकारी ले लेते हैं फैसला'
इस फंड के तहत अधिकारी खुद ही शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में ये फैसला ले लेते हैं कि कौन सी मशीन खरीदी जाएगी जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. इस बात पर अधिकारियों ने दलील दी कि स्वच्छ भारत के तहत मिलने वाले फंड का इस्तेमाल, तय गाइडलाइंस के तहत ही होता है और इनमें ज्यादातर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इक्विपमेंट खरीदे जा रहे हैं.

स्थाई समिति अध्यक्षा ने यहां कुछ अन्य मामलों की बात कहकर कहा कि 3 करोड़ से नीचे के सभी फैसलों को स्थाई समिति में लाना अनिवार्य है, लेकिन अधिकारी खुद ही हर बात पर फैसला ले लेते हैं.

'अधिकारियों ने खुद ही बना ली है सीमा'
शिखा राय ने कहा कि 5 करोड़ तक की सीमा भी अधिकारियों ने अपने मन से ही बना रखी है जबकि सदन ने 3 करोड़ तक की सीमा पर मुहर लगाई थी. राय ने अधिकारियों से कड़े शब्दों में कहा कि 3 करोड़ से ऊपर के हर फैसले को स्थाई समिति में रखना होगा. नेताओं को जनता के बीच जाना होता है ऐसे में उन्हें निगम के हर फैसले का जवाब भी देना होता है.

'निगम नेताओं से ली जाए सलाह'
शिखा राय ने साफ किया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिलने वाला पैसा भी जनता का ही पैसा है. इसमें अगर कोई परेशानी आती है तो वो खुद शहरी विकास मंत्री के पास जाएंगे और बात करेंगे लेकिन अब से हर मशीनरी निगम नेताओं के साथ सलाह-मशवरा कर ही ली जाएगी.

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