नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को देशभर में कोरोना के 1890 मामले सामने आएं हैं. तो वहीं, दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में शनिवार शाम को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बीते एक दिन में कोरोना के 139 नए मामले सामने आए हैं. इस समय देश में एक्टिव कोरोना केस की संख्या बढ़कर 9433 हो गई है. यानी इन सब मरीजों का अभी इलाज चल रहा है. इससे पहले पिछले साल 28 अक्टूबर को एक ही दिन में सबसे ज्यादा 2208 लोग संक्रमित पाए गए थे.
कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र में H3N2 के मामले, पश्चिम बंगाल, झारखंड में एडिनो वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के बाद कोरोना के मामले में जो बढ़ोतरी आई है, इसको लेकर ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ राम एस उपाध्याय कहते हैं कि जो लोग सस्पेक्टेड हैं या तो उनके इम्युनिटी यूनिटी फिट नहीं है या डिसरेगुलेटेड है, उसकी वजह से वह संक्रमित हो रहे हैं. कोविड से बचाव के लिए लोगों ने जो वैक्सीन लिया था, उससे शरीर में एंटीबॉडी बनी थी, समय के साथ उसका प्रभाव खत्म हो गया है. वैक्सीन से बनी इम्युनिटी का प्रोटेक्शन इंडेक्स नीचे आने से लोग संक्रमित हो रहे हैं.
सतर्क रहने की जरूरतः डॉ. उपाध्याय ने कहा कि कोविड के जो वायरस हैं, उसके नए वेरिएंट की अभी जिनोम सीक्वेंसिंग का पता ठीक तरह से नहीं चल पाया है. आने वाले सप्ताह में इसकी जानकारी मिल सकती है. इसमें थोड़ा समय लगेगा. अगर स्पाइक प्रोटीन में ही वायरस का म्यूटेशन होता है, तो ज्यादा चिंता की बात नहीं है. क्योंकि स्पाइक प्रोटेक्शन के विपरीत ही हम लोगों का वैक्सीन बना था. अभी कोराना से संक्रमित कुछ लोगों में निमोनिया के लक्षण देखने को मिल रहा है, इसलिए लोगों को थोड़ा सा सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने दो मुख्य कारण बताए जिसकी वजह से अभी संक्रमण दर में कुछ बढ़ोतरी हुई है. पहला, हमलोगों ने जो वैक्सीन ली थी वह एंटीबॉडी आधारित थी. वह हमारे शरीर के प्रोटेक्शन इंडेक्स से नीचे चला गया है. यह दूसरा वायरस का स्वरूप क्या है, यह डिटेक्ट नहीं कर पाए हैं. इसके चलते अभी सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब इसका स्वरूप का पता लग जाएगा, तभी कुछ स्पष्ट तौर से कहा जा सकता है.
हमारा निगरानी ढांचा मजबूतः वहीं, एम्स में मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि कोरोना और एच3एन2 वायरस की तरह ही एडिनो वायरस भी रेस्पिरेटरी वायरस ही है. पहले न इतनी जांच होती थी और न ही जांच करने के लिए इतनी तकनीक होती थी, जितनी अब है. इसलिए हर तरह के वायरस का अब पता चलने लगा है. लेकिन ये वायरस पहले भी इस सीजन में लोगों को संक्रमित करते रहे हैं.