नई दिल्ली:सरकारी स्कूलों में काम कर रहे अतिथि शिक्षक लगातार राजनीति का शिकार हो रहे हैं. आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच अतिथि शिक्षक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. लगातार 8 दिन तक प्रदर्शन करने के बाद भी अतिथि शिक्षकों के हाथ निराशा ही लगी. जिस पॉलिसी को लेकर उन्होंने पहले शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया आवास और फिर उपराज्यपाल के आवास पर प्रदर्शन किया. वहीं उपराज्यपाल ने कोर्ट में केस होने की वजह से उसमें हस्तक्षेप करने से मना कर दिया.
दिल्ली में अतिथि शिक्षकों का आंदोलन तेज 'उपराज्यपाल ने बातें नहीं सुनीं'
बता दें कि शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों में से एक प्रतिनिधिमंडल उप राज्यपाल से मिलने के लिए गया था. प्रतिनिधिमंडल के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी उपराज्यपाल से मिलने गए थे. लेकिन प्रतिनिधिमंडल आंखों में आंसू लेकर वापस लौटा और बताया कि उपराज्यपाल ने उन्हें ना ही ठीक से मिलने का समय दिया और ना ही सही तरीके से उनकी बातें सुनी.
न्यायालय में विचाराधीन है मामला
मनोज तिवारी ने बताया कि उपराज्यपाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि अतिथि शिक्षकों का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इसलिए वह उसमें किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करना चाहते. इसके अलावा दिल्ली सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो पॉलिसी के नाम पर भेजा था वह महज 2 पन्नों का पत्र था. इसके अलावा कुछ भी नहीं.
'महिलाओं पर जरा भी तरस नहीं आया'
प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अगर हरियाणा सरकार कोर्ट के आदेश के विपरीत जाकर शिक्षकों के लिए पॉलिसी लागू कर सकती है तो राजधानी में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता. बता दें कि अतिथि शिक्षकों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि मंडल में सुनील शास्त्री और रेखा शर्मा उपराज्यपाल से मिलने गए थे. वहीं रेखा शर्मा ने बताया कि महिला दिवस के अवसर पर भी उपराज्यपाल को महिलाओं पर जरा भी तरस नहीं आया.
'शिधकों के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार'
सांसद मनोज तिवारी का कहना था कि किसी भी अतिथि शिक्षक को 31 अगस्त से पहले स्कूलों से हटाया नहीं जा सकता था. ऐसे में उन्होंने शिक्षकों के सड़क पर आने के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही कहा है कि उपराज्यपाल ने स्पष्ट कहा है कि अतिथि शिक्षकों का अनुबंध 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में कई अतिथि शिक्षकों का यह सवाल है कि यदि केस उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तो शिक्षकों का अनुबंध आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है और यदि ऐसा किया जा सकता है तो पॉलिसी पास करने के लिए न्यायालय में केस होने का हवाला क्यों दिया जा रहा है.
'सरकार राजनीति खेल रही है'
ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन के सदस्य शोएब राणा ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों के ना होने से सभी कामकाज ठप पड़ा है. ऐसे में सरकार अपना काम निकलवाने के लिए राजनीति खेल रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि जब शिक्षा निदेशालय द्वारा किसी भी तरह का ऑफिशियल नोटिस जारी नहीं किया गया तो हम यह कैसे मान ले कि हमारा कॉन्ट्रैक्ट 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है.
मनोज तिवारी हाय हाय के नारे
वहीं उपराज्यपाल के आवास से खाली हाथ लौटे प्रतिनिधिमंडल और मनोज तिवारी के एक्सटेंशन के लॉलीपॉप की बात सुनकर अतिथि शिक्षकों का धीरज छूट गया और उन्होंने एलजी आवास के बाहर ही मनोज तिवारी हाय हाय के नारे लगाए. केवल मनोज तिवारी ही नहीं अतिथि शिक्षकों ने बीजेपी और आम आदमी पार्टी के खिलाफ भी नारेबाजी की. उनका कहना था कि सभी पार्टियां मिलकर उनके साथ गंदी राजनीति खेल रही है.
शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़
प्रतिनिधि मंडल में शामिल सुनील शास्त्री ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियां 22,000 अतिथि शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं और आम आदमी पार्टी अतिथि शिक्षकों को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रही है. वही सभी अतिथि शिक्षकों का कहना है कि उपराज्यपाल से मिले एक्सटेंशन के इस झूठे आश्वासन के बाद भी वह स्कूल जाने को तैयार नहीं. उनका कहना है कि अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन एक्सटेंशन को लेकर नहीं था बल्कि पॉलिसी को लेकर था तो अब पॉलिसी बनवाकर ही वह स्कूल वापस जाएंगे.