लेकिन हाल में शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी में जिस तरह के नेताओं की धमक बढ़ रही है, उनमें वरिष्ठ नेताओं की ही अधिकता है. पार्टी संगठन की होने वाली मीटिंग्स में भी युवा नेताओं को ज्यादा तरजीह नहीं दी जा रही और न ही उनके सुझाव सुने जा रहे हैं.
क्या दिल्ली कांग्रेस में वरिष्ठों को तरजीह देना युवओं के लिए बन रहा सरदर्द?
नई दिल्ली: अपनी खोई जमीन को वापस लौटाने के लिए दिल्ली कांग्रेस ने पूर्व सीएम शीला दीक्षित को प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है. शीला के आने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी में आपसी फूट खत्म हो एकता देखी जाएगी .
हाल में हुई एक जिला कांग्रेस संगठन की मीटिंग में एक युवा नेता को वहां मौजूद एक वरिष्ठ नेता ने यह कहकर बैठा दिया कि 'तुम बैठो, तुम्हारा समय बीत गया'
नाम उजागर ना करने की शर्त पर उस युवा नेता ने बताया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हम नए कांग्रेस के सारथी बने थे, लेकिन पार्टी फिर से पुराने ढर्रे पर ही जा रही है, हालांकि ऐसी बातों से कांग्रेसी नेता मना कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने की उबाल यही है. हाल में जिस तरह से शर्मिष्ठा मुखर्जी पर वरिष्ठ नेता रमाकांत गोस्वामी को तरजीह दी गई, उससे भी युवा नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है.