नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1266वीं बैठक शुक्रवार को विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हाल में हुई. डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में अगले 25 वर्षों (2022-2047) के लिए विश्वविद्यालय के स्ट्रैटेजिक प्लान को विचार विमर्श के लिए पेश किया गया. साथ ही बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई और उन्हें पारित किया गया.
विश्वविद्यालय के स्ट्रैटेजिक प्लान को लेकर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि, देश के लिए अगले 25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं. जब देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा तो हम विकसित राष्ट्रों में शुमार होंगे. इसलिए अगले 25 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी अपने योगदान के लिए तैयारी शुरू कर दी है. बैठक के शुरुआत में कुलपति ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी पेश की. उसके पश्चात ओपेन हाउस जीरो आवर में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई.
शुरू होंगे बीटेक प्रोग्राम:डीयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में 360 विद्यार्थियों के साथ बीटेक प्रोग्राम शुरू होने पर भी सहमति बनी. साथ ही प्रौद्योगिकी संकाय (फैकल्टी ऑफ टेक्नॉलजी) के वर्तमान विभागों के तहत कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोग्राम बी.टेक. कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रोग्राम बी.टेक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोग्राम बी.टेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के संचालन के लिए गठित समिति की संस्तुति को भी ईसी की बैठक में स्वीकृति प्रदान की गई.
गौरतलब है कि एनएसआईटी और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के अलग से विश्वविद्यालय बन जाने के कारण, डीयू में फिलहाल प्रौद्योगिकी के प्रोग्राम नहीं थे. अब डीयू को शिक्षा मंत्रालय द्वारा अपने प्रौद्योगिकी संकाय हेतु 72 शिक्षण एवं 48 गैर शिक्षण पदों के सृजन के लिए स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. हालांकि अभी इन विभागों के तहत 14 शिक्षकों की नियुक्तियां ही की जाएंगी.
बता दें, संचालन समिति ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 से तीन बीटेक प्रोग्राम शुरू करने की सिफारिश की है. इसके तहत कुल 360 विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाएगा, जिनमें प्रत्येक बी.टेक प्रोग्राम के लिए 120 विद्यार्थी होंगे. इन प्रोग्रामों के लिए प्रवेश जेईई मेन्स स्कोर के आधार पर दिया जाएगा. प्रोग्रामों के पहले दो सेमेस्टर की पाठ्यक्रम संरचना, क्रेडिट वितरण और पाठ्यक्रम तैयार हो चुके हैं.
कई केंद्रों को स्थापित करने की मिली मंजूरी:विश्वविद्यालय की अकादमिक काउंसिल की बैठक में पारित किए गए स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र को स्थापित करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृत कर लिया गया. इस केंद्र द्वारा शोध के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे अज्ञात नायकों और घटनाओं पर भी काम होगा, जिन्हें इतिहास में अभी तक स्थान नहीं मिला है. साथ ही भारत विभाजन की त्रासदी के दौरान की घटनाओं पर भी गहनता से अध्ययन एवं शोध होगा.
इसके अलावा जनजातीय अध्ययन केंद्र के गठन को भी मंजूरी मिल गई है. यह एक बहु-अनुशासनात्मक केंद्र होगा, जिसमें भारत की विभिन्न जनजातियों पर अध्ययन होगा. उपरोक्त के अतिरिक्त हिंदू अध्ययन केंद्र की स्थापना को भी ईसी की बैठक में पारित किया गया है. हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत, हिंदू अध्ययन में मास्टर ऑफ आर्ट्स प्रोग्राम शुरू किया जाएगा.
शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम) आईटीईपी कोर्स चलाने को भी मंजूर कर लिया गया है. यह एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 4 वर्षीय कोर्स होगा. कुलपति ने बताया कि इससे पहले चल रहे शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. कोई भी कोर्स बंद नहीं किया जाएगा.
इस आधार पर होगा पीएचडी में प्रवेश: अकादमिक परिषद की स्थायी समिति की सिफारिश के आधार पर स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के एडमिशन और अटेंडेंट से संबंधित विभिन्न मामलों पर विचार-विमर्श के उपरांत उन्हें भी कार्यकारी परिषद द्वारा स्वीकार किया गया. इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए पी.एच.डी. प्रवेश परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय-आधारित सीयूईटी (पीएचडी)-2023 के माध्यम से होगा.
हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय में सेवारत शिक्षक और गैर-शिक्षण वर्ग सीधे साक्षात्कार के लिए उपस्थित हो सकते हैं. शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को कार्यालय समय के दौरान निर्धारित कर्तव्यों को प्रभावित किए बिना कक्षाओं में भाग लेने और परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है. पीएचडी के लिए ये नियम शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से लागू होंगे. इनके अलावा शैक्षणिक सत्र 2023-2024 के स्नातक (एमबीबीएस/बीडीएस) पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए चिकित्सा विज्ञान पाठ्यक्रम प्रवेश समिति (MCAC) की पात्रता शर्त और सीट मैट्रिक्स की सिफारिशें भी ईसी में मंजूरी की गई. एम.एससी. रेस्पिरेटरी थेरेपी प्रोग्राम में भी प्रवेश सीयूईटी (पीजी)-2023 के तहत ही होगा.
यह है अगले 25 वर्षों का स्ट्रैटेजिक प्लान:कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय के स्ट्रैटेजिक प्लान को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के स्ट्रैटेजिक प्लान को ध्यान में रखते हुए डीयू ने भी अपना स्ट्रैटेजिक प्लान तैयार किया है कि अगले 25 वर्षों में हमें क्या करना है. इसके लिए देश को कैसे वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, इतिहासकार और नागरिक चाहिए होंगे और उसमें दिल्ली विश्वविद्यालय की क्या भूमिका हो सकती है, इस सबको ध्यान में रखते हुए यह स्ट्रैटेजिक प्लान तैयार किया गया है.
उन्होंने कहा कि स्ट्रैटेजिक प्लान एक व्यवस्थित प्रक्रिया है, जो मिशन-क्रिटिकल कार्य के लिए आवश्यक प्राथमिकताओं के प्रति प्रतिबद्धता बनाती है. इससे यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है कि विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण, टिकाऊ और जवाबदेह बना रहे. विश्वविद्यालय का स्ट्रैटेजिक विजन का उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ प्रदान करने वाले एक प्रमुख बहु-विषयक गहन अनुसंधान विश्वविद्यालय के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करना है.
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सीमा दास व राजपाल ने उठाया गवर्निंग बॉडी का मुद्दा:डीयू ईसी की मेंबर सीमा दास व राजपाल द्वारा ईसी मीटिंग के दौरान दो मुद्दों पर विरोध जाहिर किया गया. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा 28 वित्तपोषित कॉलेजों में जल्द गवर्निंग बॉडी (जीबी) बनाई जानी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कॉलेजों को सुबह 8 से रात 8 बजे तक खोले जाने पर भी विरोध जाहिर किया. उनका कहना था कि छात्र व शिक्षक 6 घंटे से अधिक कॉलेज में नहीं रहेंगे. वहीं महंगी शिक्षा को भी उन्होंने सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया.
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