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कंगाल हो गई कांग्रेस? दिल्ली प्रदेश दफ्तर की काटी जा सकती है बिजली, 11 लाख का बकाया है बिल

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का महीनों से बिजली बिल बकाया है. यहां तक कि कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है. पिछले दिनों दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद उनकी याद में शोक सभा का आयोजन किया गया था, उस मद में आए 5 लाख रुपये का बिल भी अभी तक बकाया ही है.

दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर की काटी जा सकती है बिजली

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Published : Sep 13, 2019, 8:11 PM IST

नई दिल्ली: देश में आर्थिक मंदी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता इन दिनों सोशल मीडिया और दूसरे प्लेटफार्म पर अपनी बात रखने में देरी नहीं कर रहे हैं. इसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी, मनमोहन सिंह, मनीष तिवारी और अन्य सभी बड़े नेता शामिल हैं.

लेकिन लगता है कि देश के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी भी आर्थिक मंदी से जूझ रही है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का मौजूदा हाल देखकर तो यही लगता है.

कभी भी काटी जा सकती है दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर की बिजली

महीनों से बकाया है बिजली का बिल
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का महीनों से बिजली बिल बकाया है. यहां तक कि कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है. पिछले दिनों दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद उनकी याद में शोक सभा का आयोजन किया गया था, उस मद में आए 5 लाख रुपये का बिल भी अभी तक बकाया ही है.

बिजली का कनेक्शन काटा जा सकता है

प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी खाली तो नेता भी काट रहे कन्नी !
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी खाली है. ऐसी सूरत में पार्टी के नेता जो समय-समय पर चंदे के तौर पर आर्थिक मदद करते थे, इस समय वो किसी भी तरह की आर्थिक सहायता करने से कन्नी काट रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की खाली कुर्सी को लेकर जल्द भरने की बात कही थी. अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है.

11 लाख का बकाया है बिजली बिल

प्रदेश कांग्रेस पर करीब 11 लाख रुपये का बिजली बिल और अन्य बिल बाकी है. जानकारी के मुताबिक जल्द भुगतान नहीं हुआ तो बिजली का कनेक्शन काटा जा सकता है. इस देनदारी से प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के सामने एक बड़ी मुसीबत उत्पन्न हो गई है. बिजली बिल नहीं भरा तो बिजली काटे जाने की सूरत में यहां काम करना मुश्किल होगा. बिना सैलरी के काम कर रहे कर्मचारियों पर दोहरी मार होगी और कर्मचारी उस पोजीशन में है नहीं कि अपनी बात आलाकमान तक पहुंचा सके.

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