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निगम-दिल्ली सरकार पर लापरवाही का आरोप, मकार और कार पर गिरा पेड़

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके में बीती रात एक पुराना लेकिन हराभरा पेड़ सूखे पत्ते की तरह अचानक धराशायी हो गया, जो अपने पीछे कई सारे सवाल भी छोड़ गया है. पेड़ गिरने से नुकसान की बात करें तो एक कार और एक मकान का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है. लेकिन यह घटना दिन में होती तो जानमाल का काफी नुकसान होता.

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Published : Feb 3, 2019, 3:20 PM IST

रोहिणी में तीन मंजिला मकान और कार पर गिरा हरा-भरा पेड़


स्थानीय लोगों को इस बात का गुस्सा है कि दशकों पुराने पेड़ की देखभाल को लेकर ना तो नगर निगम और ना ही दिल्ली सरकार का वन विभाग गंभीर है. लोग खुद आगे बढ़कर कुछ करवाएं तो पेड़ों की छटाई आदि को लेकर इतने सख्त नियम कानून हैं कि कोई आगे नहीं बढ़ता.

मकान पर जा टिका पेड़
रोहिणी सेक्टर- 17 के पॉकेट ए5 में जो पेड़ बिना किसी आंधी, तूफान के अचानक गिरा है, यह पिलखन का है और तकरीबन 50 साल पुरानी है. बीती रात करीब एक बजे जब तेज आवाज लोगों ने सुनी, तो डर गए. बाहर निकले तो देखा कि पेड़ गिरा हुआ है. पेड़ जिस तीन मंजिला मकान पर जाकर टिक गया था, उस मकान का एक हिस्सा पूरी तरह से टूट गया है. उस घर में रह रहे लोग अब डर के मार बाहर निकलने से डर रहे हैं.

घर के लोग बाहर निकलने से डर रहे
स्थनीय आरडब्लूए के अध्यक्ष सुभाष बंसल कहते हैं, उन्होंने गिरे हुए पेड़ के साथ-साथ इलाके के अन्य पेड़ जो देख-रेख के अभाव में गिरने के कगार पर हैं, उसके बारे में कई बार लिखित शिकायत नगर निगम को दे चुके हैं. लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. इसी का नतीजा है यह हादसा.

पेड़ के चारों ओर सीमेंटेड था
जो पेड़ गिरा वह काफी हराभरा था, लेकिन इसकी समय-समय पर छटाई नहीं होती थी. पेड़ की जड़ के चारों तरफ का हिस्सा सीमेंटेड था. एनजीटी का साफ निर्देश है कि पेड़ों की जड़ों के चारों तरफ एक मीटर हिस्सा किसी निर्माण के चपेट में ना हो. जड़ों के आसपास मिट्टी हो, लेकिन इस पेड़ की जड़ सीमेंटेड थी.

पुराने पेड़ों की देखभाल नहीं होने का आरोप
प्रदूषण की जबरदस्त चपेट में दिल्ली को हराभरा बनाने के दावे तो बहुत किए जाते रहे हैं, लेकिन 1483 वर्ग किलोमीटर में फैली दिल्ली का 20 फीसद से अधिक हिस्सा पिछले दो दशक से हराभरा नहीं हो सका है. प्रत्येक वर्ष मानसून के दौरान 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिल्ली सरकार रखती है, लेकिन इनमे से कितने पौधे जिंदा रहती है, विभाग के पास भी सही आंकड़ा नहीं है.

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