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JNU में रिजल्ट आने के बाद भी छात्रों को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया जा रहा

JNU में एमफिल और पीएचडी के लिए मई में हुए एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट आ चुका है लेकिन छात्रों का आरोप है की रिजल्ट आने के बाद भी उन्हें इंटरव्यू के लिए अभी तक नहीं बुलाया गया है.

रिजल्ट आने के बाद भी छात्रों को इंटरव्यू के लिए नहीं बुला रहा JNU

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Published : Jun 28, 2019, 10:10 AM IST

Updated : Jun 28, 2019, 11:14 AM IST

नई दिल्ली:जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है. एमफिल और पीएचडी के लिए मई में हुए एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट आ चुका है लेकिन छात्रों का आरोप है की रिजल्ट आने के बाद भी उन्हें इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया है.

रिजल्ट आने के बाद भी छात्रों को इंटरव्यू के लिए नहीं बुला रहा JNU

जेएनयू छात्र संगठन की वाइस प्रेसिडेंट सारिका चौधरी ने बताया कि उनके पास कई छात्रों की शिकायत है कि इंटरव्यू के लिए मिनिमम एलिजिबिलिटी 50 फीसदी नंबर रखे गए थे लेकिन बावजूद इसके उनको अभी तक इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया है.

छात्र संगठन ने दर्ज कराया विरोध
सारिका चौधरी ने बताया कि इस बार जेएनयू प्रशासन की तरफ से जो एंट्रेंस प्रक्रिया रखी गई है, उससे काफी छात्रों को परेशानी हुई है. पूरा सिस्टम ऑफलाइन कर दिया गया और एंट्रेंस टेस्ट को सिर्फ इंग्लिश में ही छात्रों को उपलब्ध कराया गया. दूरदराज इलाकों से आने वाले छात्रों के बारे में नहीं सोचा गया.

'ऑफलाइन एंट्रेंस से हुई परेशानी'
सारिका चौधरी का कहना था जेएनयू के प्रोस्पेक्टस में यह साफ लिखा गया था कि जो छात्र 50 फीसदी नंबर लेकर आता है, उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा. बावजूद इसके छात्रों की तरफ से शिकायत आ रही है कि उनके 80 फीसदी से ज्यादा नंबर आए हैं. इसके बाद भी उन्हें अभी तक इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया है.

'नहीं दी गई पूरी जानकारी'
छात्र संगठन की वाइस प्रेसिडेंट का कहना था कि इन सब शिकायतों को लेकर हमने एडमिनिस्ट्रेशन को एक पत्र भी जारी किया है. जिस पर उनका कहना है कि मिनिमम एलिजिबिलिटी के ऊपर भी क्राइटेरिया रखा गया है. जिसके आधार पर ही छात्रों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा, लेकिन सारिका चौधरी का कहना था कि ये सभी चीजें प्रॉस्पेक्टस में लिखी जानी चाहिए थी जिससे छात्रों को परेशानी नहीं होती.

NTA द्वारा परीक्षा कराने पर सवाल

इतना ही नहीं जेएनयू छात्र संगठन ने एनटीए द्वारा कराए गए एंट्रेंस टेस्ट पर भी सवाल उठाए है. उनका कहना था की एंट्रेंस टेस्ट कराने में जहां 3 करोड़ का खर्च आता था इस बार 3 गुना खर्च बढ़ा है. साथ ही इससे दूरदराज से आने वाले छात्रों को परेशानी हुई है क्योंकि आज भी जो छात्र सीधे 12वीं के बाद एंट्रेंस देते हैं उनको कंप्यूटर की इतनी जानकारी नहीं होती कि वो ऑनलाइन परीक्षा दे सकें.

वहीं आपको बता दें एमफिल और पीएचडी कोर्स के लिए 1,043 सीटों समेत कुल 3,383 सीटों के लिए परीक्षा हुई थी. जिसमें कुल 1,15,558 छात्रों ने पंजीकरण कराया था.

Last Updated : Jun 28, 2019, 11:14 AM IST

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