बर्मिंघम:निशानेबाजी को बाहर किए जाने के कारण भारत पर बर्मिंघम में हाल में समाप्त हुए राष्ट्रमंडल खेलों में शीर्ष पांच से बाहर रहने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन एथलेटिक्स और लॉन बॉल्स में सफलता के कारण वह चौथा स्थान हासिल करने में सफल रहा. गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के 66 पदकों में लगभग 25 प्रतिशत पदक निशानेबाजी में आए थे, इसलिए माना जा रहा था कि भारत बर्मिंघम में बमुश्किल 50 पदकों की संख्या को छू पाएगा. लेकिन ट्रैक एवं फील्ड की स्पर्धाओं में अच्छे प्रदर्शन के कारण वह 61 पदक हासिल करने में कामयाब रहा.
भारत ने ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में आठ पदक जीते, जो कि इन खेलों में विदेशों में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यह वास्तव में बर्मिंघम खेलों में भारत की बड़ी सफलता है. एल्धोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर पुरुषों की त्रिकूद में पहले दो स्थान हासिल किए. अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में रजत पदक, जबकि तेजस्विन शंकर ने ऊंची कूद में कांस्य पदक हासिल किया. ऊंची कूद में पहली बार भारत को पदक मिला. मुरली श्रीशंकर ने भी लंबी कूद में रजत पदक जीता, जो इस स्पर्धा में साल 1978 के बाद भारत का पहला पदक है.
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अनु रानी ने भी भाला फेंक में कांस्य पदक जीतकर नया इतिहास रचा. वह इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी. प्रियंका गोस्वामी और संदीप कुमार ने 10000 मीटर पैदल चाल में पदक हासिल किए. विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज ने खेलों से पहले एथलेटिक्स में सात पदकों की भविष्यवाणी की थी, लेकिन भारत नीरज चोपड़ा की अनुपस्थिति के बावजूद आठ पदक जीतने में सफल रहा. चोपड़ा चोटिल होने के कारण इन खेलों में भाग नहीं ले पाए थे.
भारत ने लॉन बॉल्स में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा. एक पुलिस कॉन्स्टेबल, खेल शिक्षक और एक वन अधिकारी के मिलने से बनी महिला टीम ने स्वर्ण पदक हासिल करके भारतीयों का ध्यान अपनी तरफ खींचा. भारतीयों के लिए यह खेल अभी तक अनजान रहा था. भारतीय टीम में लवली चौबे, पिंकी, रूपा रानी तिर्की और नयनमोनी सैकिया शामिल थे. पुरुषों की चौकड़ी ने भी इस खेल में रजत जीतकर आश्चर्यचकित कर दिया, जो साल 1930 से इन खेलों के कार्यक्रम का हिस्सा रहा है. नवनीत सिंह, चंदन कुमार सिंह, सुनील बहादुर और दिनेश कुमार अब उम्मीद कर रहे हैं कि यह पदक उनके जीवन को बदल देगा.